कक्षा 12 इतिहास – अध्याय 1: “ईंटें, मनके और अस्थियां” के संपूर्ण और विस्तृत नोट्स हिंदी में
1. प्रस्तावना
- हड़प्पा सभ्यता (सिंधु घाटी सभ्यता) विश्व की सबसे प्राचीन नगरीय सभ्यताओं में से एक थी (लगभग 2600 ई.पू.–1900 ई.पू.)।
- 1921 में हड़प्पा (पंजाब, पाकिस्तान) और 1922 में मोहनजोदड़ो (सिंध, पाकिस्तान) की खुदाई में पहली बार खोजी गई।
- इसका विस्तार आज के पाकिस्तान, उत्तर-पश्चिम भारत और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में था।
- इस सभ्यता के बारे में जानकारी का मुख्य स्रोत पुरातात्त्विक प्रमाण हैं।
2. भौगोलिक विस्तार
- क्षेत्रफल: लगभग 15 लाख वर्ग किलोमीटर।
- मुख्य स्थल:
- पाकिस्तान: हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हूदड़ो।
- भारत: लोथल, धोलावीरा, कालीबंगन, बनावली, राखीगढ़ी।
- सीमाएँ:
- पश्चिम: सुतकागेंडोर (बलूचिस्तान)
- पूर्व: आलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश)
- उत्तर: मान्डा (जम्मू)
- दक्षिण: दैमाबाद (महाराष्ट्र)
3. काल विभाजन
- प्रारंभिक हड़प्पा काल (लगभग 3300–2600 ई.पू.) – गाँव आधारित जीवन, नगरीकरण की शुरुआत।
- परिपक्व हड़प्पा काल (लगभग 2600–1900 ई.पू.) – विकसित नगर, व्यापार, लेखन, समान संस्कृति।
- उत्तर हड़प्पा काल (लगभग 1900–1300 ई.पू.) – नगरों का पतन, ग्रामीण जीवन की ओर वापसी।
4. नगर नियोजन
- ग्रिड योजना – सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं, शहर को आयताकार खंडों में बाँटती थीं।
- दो मुख्य भाग:
- दुर्ग क्षेत्र (सिटाडेल) – ऊँचा भाग, जहाँ महत्वपूर्ण भवन थे।
- निचला नगर – आम जनता का आवासीय क्षेत्र।
- जल निकासी व्यवस्था – भूमिगत ढकी हुई नालियाँ, सोख्ता गड्ढे।
- निर्माण सामग्री – पकी हुई ईंटें (मानक अनुपात 1:2:4), कच्ची ईंटें।
- सार्वजनिक भवन:
- अनाजघर (हड़प्पा, मोहनजोदड़ो)
- महान स्नानागार (मोहनजोदड़ो) – संभवतः धार्मिक स्नान के लिए।
- सभा भवन।
5. कृषि
- मुख्य फसलें: गेहूँ, जौ, दालें, तिल, सरसों, कपास (विश्व में कपास की खेती का सबसे पुराना प्रमाण)।
- कुएँ, नहरें, बाढ़ आधारित सिंचाई का उपयोग।
- कालीबंगन में हल से जोते खेतों के प्रमाण।
- मौसमी फसलें – रबी एवं खरीफ।
6. शिल्प उत्पादन
- प्रमुख शिल्प: मनका निर्माण, शंख काटना, मुहर बनाना, मिट्टी के बर्तन बनाना।
- केन्द्र: चन्हूदड़ो (मनके), लोथल (अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, कारखाना), नागेश्वर (शंख शिल्प)।
- सामग्री: कार्नेलियन, स्टिएटाइट, फैयेंस, ताँबा, कांसा, सोना, चाँदी।
7. व्यापार व विनिमय
- आंतरिक और दूरगामी व्यापार।
- बैलगाड़ियों और नावों द्वारा परिवहन।
- मेसोपोटामिया (सुमेर) से व्यापार – मेसोपोटामियाई ग्रंथों में ‘मेलुह्हा’ का उल्लेख (संभवत: हड़प्पा)।
- निर्यात: मनके, अर्ध-कीमती पत्थर, धातुएँ, कपास वस्त्र।
- मानकीकृत तौल और माप (बाइनरी प्रणाली) का प्रयोग।
8. लिपि
- हड़प्पा लिपि अभी तक अपठित है।
- दाएँ से बाएँ (कभी-कभी बूस्ट्रोफेडन) लिखी जाती थी।
- लगभग 400 विशिष्ट चिन्ह।
- मुहरों, मिट्टी के बर्तनों, धातु उपकरणों पर उत्कीर्ण।
9. मुहरें
- स्टिएटाइट की बनी, चौकोर या आयताकार।
- पशुओं (एकशृंग, बैल, हाथी, गैंडा) और लिपि की नक्काशी।
- प्रयोजन: पहचान, व्यापार, संपत्ति चिह्न, ताबीज।
10. धार्मिक विश्वास
- कोई मंदिर नहीं मिला, परन्तु साक्ष्य बताते हैं:
- माता देवी की पूजा।
- प्रोटो-शिव / पशुपति मुहर (तीन मुख, पशुओं से घिरा)।
- पवित्र पशु और वृक्ष।
- कालीबंगन और लोथल में अग्निकुंड।
- महान स्नानागार में धार्मिक स्नान।
11. सामाजिक संरचना
- योजनाबद्ध नगर निर्माण से संगठित समाज का संकेत।
- दुर्ग क्षेत्र में शासक वर्ग, अन्य स्थानों पर व्यापारी, कारीगर, किसान, श्रमिक।
- घरों के आकार और विलासिता की वस्तुओं से सामाजिक भेदभाव स्पष्ट।
12. जीवन-यापन व भोजन
- आहार: गेहूँ, जौ, चावल (लोथल से प्रमाण), दालें, तिल, सरसों।
- पालतू पशु: गाय, भैंस, भेड़, बकरी, ऊँट, हाथी।
- मछली पकड़ना व शिकार सहायक भोजन स्रोत।
13. अंतिम संस्कार प्रथाएँ
- मृतकों को मिट्टी के बर्तनों, आभूषणों, भोजन के साथ दफनाना।
- प्रकार: लम्बी कब्र (पूर्ण दफन), आंशिक दफन (हड्डियाँ बाद में एकत्र)।
- बड़े मकबरे नहीं – मृत्यु में समानता का संकेत।
14. हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण
- जलवायु परिवर्तन, नदियों (सरस्वती) का सूखना।
- बाढ़।
- व्यापार में गिरावट।
- भूमि का अति-उपयोग, वनों की कटाई।
- सम्भावित आक्रमण






