अध्याय 2: भारतीय संविधान में अधिकार

By gurudev

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(कक्षा 11 – राजनीति विज्ञान – भारतीय संविधान का कार्य)


1. अधिकार का परिचय

  • अधिकार का अर्थ:
    • ऐसे दावे या सुविधाएँ जो समाज द्वारा मान्यता प्राप्त हों और क़ानून द्वारा संरक्षित हों।
    • यह व्यक्ति के सम्मानजनक जीवन और व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक हैं।
  • अधिकारों का महत्व:
    • राज्य के मनमाने कार्यों से व्यक्ति की रक्षा।
    • सामाजिक व राजनीतिक जीवन में भागीदारी सुनिश्चित करना।
    • समानता और न्याय को बढ़ावा देना।

2. भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार

  • स्थान: संविधान का भाग III (अनुच्छेद 12 से 35)।
  • मूल रूप से: 7 अधिकार (44वाँ संशोधन, 1978 में संपत्ति का अधिकार हटाकर 6 किए गए)।
  • प्रकृति:
    • न्यायालय में लागू करने योग्य (Justiciable)।
    • सभी नागरिकों के लिए (कुछ अधिकार विदेशी नागरिकों को भी)।
  • वर्तमान 6 मौलिक अधिकार:
    1. समानता का अधिकार – अनु. 14 से 18
    2. स्वतंत्रता का अधिकार – अनु. 19 से 22
    3. शोषण के विरुद्ध अधिकार – अनु. 23 व 24
    4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार – अनु. 25 से 28
    5. सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार – अनु. 29 व 30
    6. संवैधानिक उपचार का अधिकार – अनु. 32

3. समानता का अधिकार (अनु. 14–18)

  • अनु. 14 – क़ानून के समक्ष समानता व क़ानून का समान संरक्षण।
  • अनु. 15 – धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध।
    • अपवाद: महिलाओं, बच्चों, SC/ST व पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान।
  • अनु. 16 – सरकारी नौकरियों में समान अवसर।
  • अनु. 17 – अस्पृश्यता का उन्मूलन (दंडनीय अपराध)।
  • अनु. 18 – उपाधियों का उन्मूलन (शैक्षिक व सैन्य अपवाद)।

4. स्वतंत्रता का अधिकार (अनु. 19–22)

अनु. 19 – छह स्वतंत्रताएँ:

  1. वाणी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
  2. शांतिपूर्ण एवं निःशस्त्र सभा की स्वतंत्रता।
  3. संघ बनाने की स्वतंत्रता।
  4. देश में स्वतंत्र आवागमन।
  5. देश के किसी भी भाग में निवास/स्थापना की स्वतंत्रता।
  6. किसी भी पेशे/व्यवसाय करने की स्वतंत्रता।
  • युक्तिसंगत प्रतिबंध – सुरक्षा, संप्रभुता, सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता आदि के लिए।

अनु. 20 – अपराध में दोषसिद्धि पर संरक्षण:

  • पूर्ववर्ती कानून से दंड नहीं।
  • दोहरे अभियोजन से संरक्षण।
  • आत्म-अभियोग से मुक्ति।

अनु. 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण:

  • विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही जीवन/स्वतंत्रता से वंचित किया जा सकता है।
  • न्यायालय द्वारा विस्तार – निजता का अधिकार, स्वच्छ पर्यावरण, आजीविका, आवास, शिक्षा आदि।

अनु. 21A – शिक्षा का अधिकार:

  • 6–14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा (86वाँ संशोधन, 2002)।

अनु. 22 – गिरफ्तारी व निरोध पर संरक्षण:

  • प्रतिबंधात्मक निरोध – अधिकतम 3 माह (सलाहकार बोर्ड अनुमोदन के बिना)।

5. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनु. 23–24)

  • अनु. 23 – मानव तस्करी, बलात श्रम, बेगार का निषेध।
  • अनु. 24 – 14 वर्ष से कम बच्चों को खतरनाक उद्योगों में रोजगार का निषेध।

6. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनु. 25–28)

  • अनु. 25 – अंतःकरण की स्वतंत्रता, धर्म का पालन, प्रचार और प्रसार की स्वतंत्रता।
  • अनु. 26 – धार्मिक कार्यों का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता।
  • अनु. 27 – किसी धर्म के प्रचार हेतु कर भुगतान से मुक्ति।
  • अनु. 28 – कुछ शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा लेने/न लेने की स्वतंत्रता।

7. सांस्कृतिक व शैक्षिक अधिकार (अनु. 29–30)

  • अनु. 29 – अल्पसंख्यकों की भाषा, लिपि व संस्कृति की रक्षा।
  • अनु. 30 – अल्पसंख्यकों को शिक्षण संस्थान स्थापित व संचालित करने का अधिकार।

8. संवैधानिक उपचार का अधिकार (अनु. 32)

  • मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार।
  • पाँच प्रकार की रिट:
    1. हैबियस कॉर्पस – बंदी को प्रस्तुत करो।
    2. मैंडमस – कर्तव्य निभाने का आदेश।
    3. प्रोहिबिशन – निचली अदालत को अधिकार से अधिक कार्य करने से रोकना।
    4. सर्टियोरारी – निचली अदालत का आदेश निरस्त करना।
    5. क्वो वारंटो – किसी पद पर अधिकार की वैधता पर प्रश्न।
  • डॉ. अंबेडकर ने इसे संविधान की “आत्मा” कहा।

9. मौलिक अधिकारों का निलंबन

  • राष्ट्रीय आपातकाल (अनु. 352) में अधिकांश अधिकार निलंबित, पर अनु. 20 व 21 नहीं।
  • अनु. 359 – राष्ट्रपति को अधिकार निलंबित करने का अधिकार।

10. मौलिक अधिकार व राज्य के नीति निर्देशक तत्व

  • मौलिक अधिकार → लागू करने योग्य, व्यक्तिगत स्वतंत्रता।
  • नीति निर्देशक तत्व → लागू न होने योग्य, सामाजिक-आर्थिक न्याय।
  • केशवानंद भारती मामला (1973) – दोनों में सामंजस्य।

11. महत्वपूर्ण निर्णय

  • केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) – बुनियादी ढाँचा सिद्धांत।
  • मनेका गांधी बनाम भारत संघ (1978) – अनु. 21 का विस्तार।
  • इंदिरा साहनी मामला (1992) – ओबीसी आरक्षण की पुष्टि।
  • पुट्टस्वामी मामला (2017) – निजता का अधिकार मौलिक अधिकार।

12. संशोधन

  • 42वाँ संशोधन (1976) – आपातकाल में अधिकारों की कटौती।
  • 44वाँ संशोधन (1978) – संपत्ति का अधिकार हटाया, अधिकार बहाल।
  • 86वाँ संशोधन (2002) – अनु. 21A जोड़ा (शिक्षा का अधिकार)।

13. महत्व

  • व्यक्ति की गरिमा की रक्षा।
  • लोकतंत्र को सशक्त बनाना।
  • राष्ट्र की एकता व अखंडता को बढ़ावा।
  • राज्य की शक्ति पर नियंत्रण।

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