
1. स्थापना और भूगोल
- विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ई. में हरिहर और बुक्का ने की थी।
- इस साम्राज्य की राजधानी तुंगभद्रा नदी के किनारे हम्पी (कर्नाटक) में बनाई गई।
- इसे “विजयनगर” या “सिटी ऑफ विक्ट्री” भी कहा जाता था।
- भौगोलिक दृष्टि से यह इलाका पहाड़ियों और चट्टानों से घिरा हुआ था, जिससे सुरक्षा मज़बूत रहती थी।
- तुंगभद्रा नदी जल आपूर्ति और खेती के लिए बहुत महत्वपूर्ण थी।
2. साम्राज्य का राजनीतिक विकास
- संगम वंश (1336–1485) – संस्थापक हरिहर और बुक्का।
- सालुव वंश (1485–1505) – नारसिंह सालुव।
- तुलुव वंश (1505–1565) – इस वंश के महान शासक कृष्णदेव राय (1509–1529) माने जाते हैं।
- कृष्णदेव राय को “अंध्रभोज” कहा जाता था।
- 1565 की तालिकोट की लड़ाई (तलिकोट/रक्कासंगी युद्ध) में दक्खिनी सुल्तानों ने विजयनगर की शक्ति तोड़ दी।
3. कृष्णदेव राय का शासन
- उन्होंने 1509–1529 तक शासन किया।
- उनके शासनकाल में विजयनगर अपनी सर्वोच्च उन्नति पर पहुँचा।
- उन्होंने तुलुव वंश की नींव मज़बूत की।
- साहित्य, कला और स्थापत्य का जबरदस्त विकास हुआ।
- उनकी पुस्तकें – आमुक्तमाल्यद (तेलुगु में) और मदुराविजयम् (गंगादेवी द्वारा)।
- वे न्यायप्रिय और जनता के हितैषी शासक माने जाते हैं।
4. प्रशासनिक व्यवस्था
- साम्राज्य को कई प्रांतों में बाँटा गया था।
- स्थानीय शासकों को नायक और अमर्नायक कहा जाता था।
- नायक–अमर्नायक व्यवस्था:
- नायक अपने क्षेत्रों से राजस्व इकट्ठा करके राजा को कर देते थे।
- वे सेना तैयार करते और संकट में राजधानी की रक्षा करते।
- बाद में यही नायक स्वतंत्र होने लगे।
5. अर्थव्यवस्था और व्यापार
- विजयनगर की अर्थव्यवस्था कृषि, कर और व्यापार पर आधारित थी।
- अनाज, कपास, मसाले, घोड़े और हीरे यहाँ के मुख्य व्यापारिक उत्पाद थे।
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार – पुर्तगाल, अरब, फारस, चीन और बर्मा से संपर्क।
- पुर्तगालियों से घोड़ों का आयात होता था, जो सेना के लिए आवश्यक थे।
- विजयनगर को “डायमंड कैपिटल” भी कहा जाता था क्योंकि यहाँ कोलार और रायचूर की खानें थीं।
6. धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन
- विजयनगर एक धार्मिक सहिष्णु राज्य था।
- मुख्य रूप से हिन्दू धर्म (वैष्णव और शैव सम्प्रदाय) प्रचलित थे।
- भक्ति आंदोलन और संतों का गहरा प्रभाव था।
- मठ और मंदिर ज्ञान और संस्कृति के केंद्र बने।
7. मंदिर और स्थापत्य
- विजयनगर स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है।
- मुख्य मंदिर:
- विरुपाक्ष मंदिर – शिव को समर्पित।
- विट्ठलस्वामी मंदिर – भगवान विष्णु को समर्पित, इसमें प्रसिद्ध रथ और संगीत स्तंभ हैं।
- हजारराम मंदिर – रामायण की कथा को चित्रित करता है।
- मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र भी थे।
- यहाँ गोपुरम (ऊँचे द्वार), मंडप, पुस्तकालय और देवदासी प्रथा प्रचलित थी।
8. जल प्रबंधन और सिंचाई व्यवस्था
- विजयनगर में नहरें, तालाब और बाँध बनाए गए।
- कंपा नहर (तुंगभद्रा नदी से जुड़ी) – सबसे प्रसिद्ध नहर।
- तालाब और बाँध बारिश का पानी संग्रहित करके खेती और शहर की ज़रूरतों को पूरा करते थे।
- जल प्रबंधन से विजयनगर एक हरा–भरा क्षेत्र बन गया।
9. नगर व्यवस्था और किलेबंदी
- राजधानी हम्पी को चारों ओर से ऊँची दीवारों और गढ़ों से सुरक्षित बनाया गया।
- नगर तीन भागों में बँटा था:
- राजमहल क्षेत्र – जहाँ शाही महल, नृत्य मंडप, स्तंभ और दर्शक दीर्घाएँ थीं।
- धार्मिक क्षेत्र – मंदिर और तीर्थ स्थल।
- साधारण बस्ती – व्यापारियों, सैनिकों और किसानों का निवास।
- महानवमी डिब्बा – यह राजमहल क्षेत्र में सबसे विशाल मंच था जहाँ नवरात्रि, विजयदशमी और दरबार आयोजित होते थे।
10. विदेशी यात्री और उनके विवरण
- कई विदेशी यात्री विजयनगर आए और उन्होंने इसकी प्रशंसा की।
- अब्दुर रज्जाक (फारस से) – 1443 में आया, किलेबंदी,महलों और समृद्धि का वर्णन किया।
- डॉमिंगो पेस (पुर्तगाल से) – कृष्णदेव राय के समय आया, विजय नगर को “विश्व का सबसे समृद्ध शहर” कहा।
- फर्नाओ नुन्हिज (पुर्तगाल से) – सामाजिक जीवन और व्यापार का विवरण दिया।
- निकोलो कॉंटी (इटली से) – विजयनगर की संपन्नता देख आश्चर्यचकित हुआ।
11. दक्खिन के सुल्तानों से संबंध
- विजयनगर और बीजापुर, अहमदनगर, गोलकुंडा, बरार और बीदर के सुल्तानों में लगातार संघर्ष रहा।
- 1565 में तालीकोटा की लड़ाई में सुल्तानों ने मिलकर विजयनगर की सेना को हरा दिया।
- इसके बाद विजयनगर साम्राज्य कभी अपनी पुरानी ताकत हासिल नहीं कर सका।
12. विजयनगर की धरोहर
- विजयनगर आज भी भारतीय इतिहास का गौरवशाली अध्याय है।
- हम्पी (वर्तमान कर्नाटक) को UNESCO ने World Heritage Site घोषित किया है।
- इसकी स्थापत्य कला, मूर्तिकला, मंदिर और बस्तियाँ आज भी विद्यमान हैं।
✨ निष्कर्ष
- विजयनगर साम्राज्य भारतीय इतिहास का स्वर्णिम काल था।
- यहाँ धर्म, संस्कृति, कला, व्यापार और राजनीति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
- इसकी स्थापत्य और धरोहर आज भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रमाण हैं।