Class 12 History – Chapter 8: Peasants, Zamindars and the State (Mughal Agrarian Society and Economy) नोटस हिंदी मे
1. प्रस्तावना
- 16वीं से 17वीं शताब्दी का भारत मुख्यतः कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था था।
- समाज की नींव किसानों और जमींदारों पर टिकी थी।
- मुग़ल सम्राटों ने कृषि व्यवस्था को संगठित किया और राजस्व प्रणाली को व्यवस्थित रूप दिया।
- इस काल में उत्पादन, व्यापार और ग्रामीण समाज में गहरे बदलाव आए।
2. कृषि उत्पादन और तकनीक
- भूमि को कृषि का मुख्य आधार माना गया।
- किसान विभिन्न फसलें उगाते थे –
- अनाज: गेहूँ, जौ, चावल
- नकदी फसलें: गन्ना, कपास, नील
- मसाले व बागवानी: काली मिर्च, पान, फल
- तकनीक साधारण थी – हल, बैल और सींचाई नहरें।
- दो फसली व्यवस्था (double cropping) अपनाई जाती थी।
- उपज का बड़ा भाग अनाज में लिया जाता था, मुद्रा में नहीं।
3. किसान (Peasants)
- किसान समाज की रीढ़ थे।
- खेती छोटी जोतों में होती थी।
- अधिकांश किसान खुद उत्पादन करते और लगान चुकाते।
- किसान समुदाय ग्राम पंचायतों और सामूहिक सहयोग से जुड़ा था।
- कठिनाइयाँ –
- अत्यधिक कर वसूली
- अकाल, सूखा और बाढ़
- साहूकारों पर ऋण
4. जमींदार
- जमींदार मुग़ल ग्रामीण समाज का अहम हिस्सा थे।
- भूमिकाएँ –
- किसानों से लगान वसूलना
- सेना व प्रशासन को सहयोग देना
- सामाजिक–धार्मिक प्रतिष्ठा बनाए रखना
- प्रकार –
- राजवंशी/राजपूत जमींदार – बड़े क्षेत्र पर नियंत्रण
- स्थानीय मुखिया (village headmen) – गाँव के कर वसूली प्रमुख
- छोटे जमींदार – कम भूमि पर अधिकार
- जमींदार और किसान का रिश्ता हमेशा शोषणकारी नहीं था; कई बार सहयोगात्मक भी रहा।
5. राज्य और राजस्व प्रणाली
- मुग़ल साम्राज्य की नींव राजस्व (revenue) पर थी।
- अकबर ने राजस्व व्यवस्था को व्यवस्थित किया – जिसे जाब्ती/दहसाला प्रणाली (Todar Mal reforms) कहा जाता है।
- राजस्व की गणना –
- औसत उपज पर आधारित
- नकद व अनाज, दोनों में वसूली
- राज्य की आय का बड़ा हिस्सा सैन्य और प्रशासन पर खर्च होता था।
- राजस्व अधिकारी – आमिल, पटवारी, कानूंगो।
6. सिंचाई और नहरें
- वर्षा पर निर्भरता अधिक थी।
- कुछ जगह नहरें और कुएँ बनाए गए।
- पंजाब, दिल्ली और आगरा में नहरें महत्वपूर्ण थीं।
- दक्षिण भारत में टैंक (तालाब) प्रमुख थे।
7. व्यापार और नगरीकरण
- कृषि उत्पादन से ही स्थानीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार चलता था।
- निर्यात – कपास, नील, मसाले।
- आयात – घोड़े, कीमती धातु।
- प्रमुख मंडियाँ – लाहौर, आगरा, पटना, सूरत, मसुलीपट्टनम।
- यूरोपीय व्यापारी (पुर्तगाली, अंग्रेज, डच) भी भारत आए और व्यापार में शामिल हुए।
8. विदेशी यात्रियों का दृष्टिकोण
- अब्दुर्रज्जाक, निकोलो कोंटी, फ्रांस्वा बर्नियर, मनुच्ची आदि ने भारत के ग्रामीण और शहरी जीवन का वर्णन किया।
- बर्नियर ने लिखा कि –
- भारत में शाही शक्ति मजबूत थी।
- परंतु ग्रामीण किसानों पर अधिक कर बोझ था।
- यात्रियों ने कृषि, व्यापार और समाज की गहन जानकारी दी।
9. किसान–जमींदार संघर्ष
- अत्यधिक कर और शोषण के कारण कई बार किसान विद्रोह करते थे।
- विद्रोह के कारण –
- लगान वसूली की कठोरता
- प्राकृतिक आपदाएँ
- साहूकारों का दबाव
- कई बार जमींदार भी राज्य के खिलाफ विद्रोह कर जाते थे।
10. निष्कर्ष
- मुग़लकालीन भारत की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित थी।
- किसान और जमींदार दोनों समाज की संरचना में आवश्यक थे।
- राजस्व व्यवस्था से ही राज्य की राजनीतिक–सैन्य शक्ति बनी रही।
- कृषि उत्पादन, व्यापार और ग्रामीण संगठन ने भारत को विश्व अर्थव्यवस्था में प्रमुख स्थान दिलाया।