By gurudev

Published on:


✦ 2 अंकों वाले प्रश्न

प्रश्न 1. भारत में “समान मताधिकार” का क्या अर्थ है? (2005)
उत्तर:

  1. समान मताधिकार का अर्थ है कि प्रत्येक वयस्क नागरिक, चाहे उसका धर्म, जाति, लिंग, शिक्षा या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, उसे मतदान का अधिकार है।
  2. भारत में इसे “सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार” कहा गया है।
  3. यह लोकतंत्र की मूल आत्मा है क्योंकि इसमें हर नागरिक का मत समान महत्व रखता है।

प्रश्न 2. ‘सीमांकन आयोग’ की भूमिका स्पष्ट कीजिए। (2010)
उत्तर:

  1. सीमांकन आयोग निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएँ तय करता है।
  2. इसका कार्य निर्वाचन क्षेत्रों को जनसंख्या के आधार पर बराबर करना है।
  3. आयोग की सिफारिशें अंतिम होती हैं और उन पर न्यायालय में आपत्ति नहीं की जा सकती।

प्रश्न 3. ‘अनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति’ से आप क्या समझते हैं? (2007)
उत्तर:

  1. यह ऐसी चुनाव प्रणाली है जिसमें पार्टियों को मिलने वाली सीटें उनके प्राप्त मतों के अनुपात में मिलती हैं।
  2. इसका उपयोग राज्यसभा और राष्ट्रपति चुनाव में किया जाता है।
  3. यह अल्पसंख्यक वर्गों को भी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।

प्रश्न 4. चुनाव आयोग की दो शक्तियाँ लिखिए। (2014)
उत्तर:

  1. चुनाव आयोग चुनाव कार्यक्रम घोषित करता है।
  2. यह राजनीतिक दलों को चिन्ह आवंटित करता है।
  3. चुनाव प्रक्रिया को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाए रखने का कार्य करता है।

प्रश्न 5. निर्वाचन क्षेत्र (Constituency) से आप क्या समझते हैं? (2018)
उत्तर:

  1. निर्वाचन क्षेत्र वह भौगोलिक क्षेत्र है, जहाँ से एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
  2. भारत में प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र से एक सांसद चुना जाता है।
  3. राज्य विधानसभाओं में भी निर्वाचन क्षेत्र के आधार पर विधायक चुने जाते हैं।

✦ 6 अंकों वाले प्रश्न

प्रश्न 1. भारत के चुनाव आयोग की संरचना और शक्तियाँ स्पष्ट कीजिए। (2004, 2013, 2019)
उत्तर:

  1. चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है।
  2. इसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त होते हैं।
  3. यह मतदाता सूची तैयार करता है और उसे अपडेट करता है।
  4. चुनाव कार्यक्रम और तिथियाँ घोषित करता है।
  5. राजनीतिक दलों को चिन्ह आवंटित करता है।
  6. चुनाव आचार संहिता लागू कराता है।
  7. चुनाव परिणाम घोषित करता है।
  8. चुनाव की स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनाए रखता है।

प्रश्न 2. बहुमत आधारित चुनाव प्रणाली की विशेषताएँ और कमियाँ स्पष्ट कीजिए। (2008, 2016, 2022)
उत्तर:

  1. इसमें उम्मीदवार को सर्वाधिक मत मिलने पर विजेता घोषित किया जाता है।
  2. यह सरल और समझने में आसान है।
  3. इससे स्थिर सरकार बनने की संभावना रहती है।
  4. लेकिन, इसमें कभी-कभी अल्पसंख्यक मतों से भी उम्मीदवार जीत जाता है।
  5. छोटे दल और अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व से वंचित रह जाते हैं।
  6. बहुमत के बजाय “बहुसंख्यक” का वर्चस्व रहता है।
  7. यह कभी-कभी निष्पक्ष प्रतिनिधित्व नहीं दे पाता।
  8. इसे ‘फर्स्ट पास्ट द पोस्ट’ प्रणाली कहा जाता है।

प्रश्न 3. चुनाव सुधारों की आवश्यकता क्यों है? समझाइए। (2002, 2012, 2018)
उत्तर:

  1. चुनावों में धनबल और बाहुबल का उपयोग होता है।
  2. जाति और धर्म के आधार पर वोट माँगे जाते हैं।
  3. चुनावी खर्च बढ़ गया है।
  4. मतदाता सूची में गड़बड़ी रहती है।
  5. फर्जी मतदान और बूथ कैप्चरिंग की समस्या रहती है।
  6. राजनीतिक दल आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं।
  7. काले धन का प्रयोग होता है।
  8. निष्पक्ष लोकतंत्र के लिए चुनाव सुधार आवश्यक हैं।

प्रश्न 4. निर्वाचन प्रणाली के मुख्य तत्व लिखिए। (2006, 2011, 2020)
उत्तर:

  1. निर्वाचन क्षेत्रों का गठन।
  2. मतदाता सूची का निर्माण।
  3. नामांकन की प्रक्रिया।
  4. चुनाव प्रचार।
  5. मतदान प्रक्रिया।
  6. मतगणना।
  7. परिणामों की घोषणा।
  8. पुनर्मतदान की व्यवस्था (यदि आवश्यक हो)।

Q5. प्रथम पास्ट द पोस्ट (FPTP) निर्वाचन प्रणाली के गुण और दोष स्पष्ट कीजिए।(CBSE 2016)

उत्तर :

गुण (Merits):

  1. सरलता – यह प्रणाली बहुत ही आसान और समझने योग्य है। मतदाता केवल एक प्रत्याशी का नाम चुनकर मतदान करता है।
  2. त्वरित परिणाम – परिणाम जल्दी निकल जाते हैं क्योंकि गिनती आसान होती है।
  3. स्थिर सरकार – अक्सर बहुमत वाली सरकार बनती है जिससे स्थिरता आती है।
  4. सीधा प्रतिनिधित्व – मतदाता और उनके निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि के बीच सीधा संबंध बनता है।
  5. प्रभावी शासन – इस प्रणाली से बने हुए सरकारें निर्णायक और प्रभावशाली ढंग से काम कर पाती हैं।
  6. परंपरा का पालन – भारत में लंबे समय से यह प्रणाली चल रही है, इसलिए लोग इससे परिचित हैं।

दोष (Demerits):

  1. मतों की बर्बादी – हारने वाले प्रत्याशियों को दिए गए मत व्यर्थ हो जाते हैं।
  2. बहुमत का अभाव – कई बार विजेता प्रत्याशी कुल मतों का बहुमत प्राप्त नहीं करता, फिर भी विजेता घोषित होता है।
  3. छोटी पार्टियों का नुकसान – राष्ट्रीय स्तर पर छोटी पार्टियों को बहुत कम प्रतिनिधित्व मिलता है।
  4. क्षेत्रीय दलों का पक्षपात – क्षेत्रीय दल अक्सर अधिक सीटें जीत जाते हैं भले ही उनके पास राष्ट्रीय समर्थन कम हो।
  5. ध्रुवीकरण – जाति, धर्म या क्षेत्रीय आधार पर वोट बंटने का खतरा बढ़ जाता है।
  6. असमान प्रतिनिधित्व – कुछ पार्टियाँ काफी वोट पाकर भी बहुत कम सीटें जीत पाती हैं।

Q6.अनुपातिक प्रतिनिधित्व (PR) प्रणाली की मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए l(CBSE 2018)

उत्तर :

  1. अनुपात पर आधारित प्रतिनिधित्व – पार्टियों को उतनी ही सीटें मिलती हैं जितने प्रतिशत मत उन्हें प्राप्त होते हैं।
  2. न्यायसंगत प्रणाली – हर वोट का महत्व होता है, मत व्यर्थ नहीं जाते।
  3. छोटी पार्टियों को अवसर – छोटी पार्टियों को भी संसद या विधानसभा में प्रतिनिधित्व मिल जाता है।
  4. अधिक लोकतांत्रिक – यह प्रणाली मतों और सीटों के बीच संतुलन बनाए रखती है।
  5. मतदाता के लिए विकल्प – मतदाता केवल प्रत्याशी नहीं, बल्कि दल या सूची को भी वोट कर सकता है।
  6. गठबंधन सरकार – अक्सर कोई भी दल स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर पाता, जिससे गठबंधन सरकारें बनती हैं।

Q7. भारत में लोकसभा चुनावों के लिए अनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति क्यों नहीं अपनाई गई? स्पष्ट कीजिए।(CBSE 2011, 2015)

उत्तर :

  1. देश का विशाल आकार – भारत एक बहुत बड़ा देश है, अनुपातिक प्रतिनिधित्व लागू करना व्यावहारिक रूप से कठिन है।
  2. सीधे संबंध का अभाव – PR प्रणाली में मतदाता और प्रतिनिधि के बीच सीधा संबंध नहीं होता।
  3. जटिलता – यह प्रणाली समझने और लागू करने में कठिन है।
  4. स्थिरता का अभाव – PR प्रणाली से गठबंधन सरकारें बनती हैं, जो स्थिर नहीं होतीं।
  5. क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व की कमी – भारत में निर्वाचन क्षेत्रों से सीधे प्रतिनिधि चुनने की परंपरा है।
  6. ऐतिहासिक कारण – स्वतंत्रता के समय संविधान निर्माताओं ने FPTP प्रणाली को अधिक उपयुक्त माना।

Q8. भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।(CBSE 2005, 2019)

उत्तर :

  1. धन बल का उपयोग – चुनावों में अधिक पैसा खर्च किया जाता है जिससे निष्पक्षता प्रभावित होती है।
  2. बल प्रयोग और डराना-धमकाना – कई बार मतदाताओं को डराकर उनका मतदान प्रभावित किया जाता है।
  3. जाति और धर्म आधारित राजनीति – उम्मीदवार जाति और धर्म के नाम पर वोट माँगते हैं।
  4. पारदर्शिता की कमी – चुनावी चंदे में पारदर्शिता नहीं होती।
  5. मतदाता सूची की गड़बड़ी – कई बार पात्र मतदाता का नाम सूची में नहीं होता।
  6. फर्जी मतदान – नकली पहचान या दूसरों के नाम पर मतदान किया जाता है।

Leave a Comment