सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य- चरवाहे से चक्रवर्ती सम्राट बनने तक की कहानी

By gurudev

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महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य की सम्पूर्ण जीवनी


जन्म और माता–पिता

  • चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म लगभग 340 ईसा पूर्व हुआ था (सटीक वर्ष निश्चित नहीं है)।
  • इनका जन्मस्थान पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना, बिहार) या उसके आस-पास माना जाता है।
  • पिता का देहांत बचपन में ही हो गया था, जिससे परिवार निर्धनता में चला गया।
  • वे मौर्य वंश से संबंधित थे। कुछ स्रोत इन्हें क्षत्रिय तो कुछ शूद्र वंश का बताते हैं।
  • माता ने ही कठिन परिस्थितियों में उनका पालन-पोषण किया।

  • चन्द्रगुप्त का बचपन अत्यंत साधारण था।
  • कुछ ग्रंथों के अनुसार वे चरवाहे या शिकारी रहे।
  • गरीबी के बावजूद उनमें स्वाभाविक नेतृत्व क्षमता, साहस और बुद्धिमत्ता झलकती थी।
  • जैन और बौद्ध ग्रंथ बताते हैं कि बचपन से ही उनमें करिश्माई व्यक्तित्व था।

शिक्षा और चाणक्य

  • महान आचार्य चाणक्य (कौटिल्य/विश्णुगुप्त) ने चन्द्रगुप्त को देखा और उनकी प्रतिभा से प्रभावित हुए।
  • चाणक्य उन्हें तक्षशिला विश्वविद्यालय ले गए।

  • वहाँ उन्होंने शिक्षा प्राप्त की —
    • राजनीति और प्रशासन (अर्थशास्त्र के सिद्धांत)।
    • सैन्य रणनीति और युद्धकला
    • अर्थशास्त्र, कूटनीति और दर्शन
  • चाणक्य ने उन्हें नंद वंश को समाप्त कर नया साम्राज्य स्थापित करने हेतु प्रशिक्षित किया।

नंद वंश के विरुद्ध संघर्ष (मगध साम्राज्य)

  • उस समय मगध (राजा धनानंद के अधीन) भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य था।
  • धनानंद अपनी कठोर कर नीति और अहंकार के कारण प्रजाजनों में अलोकप्रिय था।
  • चाणक्य के मार्गदर्शन में चन्द्रगुप्त ने —
    • गुरिल्ला युद्ध की नीति अपनाई।
    • स्थानीय जनजातियों और छोटे शासकों से गठबंधन किया।
  • वर्षों के संघर्ष के बाद लगभग 321 ईसा पूर्व में चन्द्रगुप्त ने धनानंद को पराजित किया और मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।

यूनानियों से संघर्ष

  • अलेक्ज़ेंडर महान ने भारत पर आक्रमण (327–325 ईसा पूर्व) किया था और उत्तर-पश्चिम भारत में यूनानी शासन स्थापित हुआ।
  • अलेक्ज़ेंडर की मृत्यु (323 ईसा पूर्व) के बाद उसका सेनापति सेल्यूकस निकेटर उत्तर-पश्चिम भारत का शासक बना।
  • चन्द्रगुप्त ने लगभग 305 ईसा पूर्व में सेल्यूकस को हराया।
  • संधि के अनुसार —
    • सेल्यूकस ने अफगानिस्तान, बलूचिस्तान और गंधार के क्षेत्र चन्द्रगुप्त को सौंप दिए।
    • बदले में चन्द्रगुप्त ने उसे 500 युद्ध हाथी दिए।
    • विवाह-संधि के माध्यम से भी संबंध मजबूत किए गए।
  • इस विजय से मौर्य साम्राज्य को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली।

साम्राज्य और राजगद्दी

  • 321 ईसा पूर्व में चन्द्रगुप्त ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
  • राजधानी: पाटलिपुत्र
  • साम्राज्य की सीमा —
    • बिहार, बंगाल, पंजाब, अफगानिस्तान और पाकिस्तान तक।
    • बाद में लगभग पूरे भारत में विस्तार (दक्षिण भारत को छोड़कर)।
  • प्रशासन:
    • मंत्रियों, जासूसों और अधिकारियों का संगठित तंत्र।
    • कठोर कानून व्यवस्था (अर्थशास्त्र के सिद्धांतों पर आधारित)।
    • कर व्यवस्था और केंद्रीकृत शासन प्रणाली।

विजय और उपलब्धियाँ

1. नंद वंश का अंत और मगध पर अधिकार।

2. सेल्यूकस निकेटर को हराकर उत्तर-पश्चिम भारत का अधिग्रहण।

3. पंजाब, सिंध और अफगानिस्तान का विलय।

4. केंद्रित और अनुशासित प्रशासन की स्थापना।

5. भारत के इतिहास का पहला विशाल अखंड साम्राज्य स्थापित किया।


धर्म और जैन प्रभाव

  • जीवन के अंतिम वर्षों में चन्द्रगुप्त ने जैन धर्म अपना लिया।
  • जैन आचार्य भद्रबाहु के संपर्क में आने के बाद उन्होंने सिंहासन त्याग दिया।
  • लगभग 298 ईसा पूर्व में उन्होंने अपने पुत्र बिन्दुसार को गद्दी सौंपी।
  • इसके बाद वे भद्रबाहु और जैन साधुओं के साथ दक्षिण भारत (कर्नाटक) चले गए।

मृत्यु

  • अंतिम समय उन्होंने श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) में तपस्या की।
  • जैन परंपरा के अनुसार उन्होंने सल्लेखना व्रत (उपवास द्वारा देह त्याग) किया।
  • उनकी मृत्यु लगभग 297 ईसा पूर्व में हुई।
  • चंदर्गिरी पर्वत पर स्थित भद्रबाहु की गुफा जहाँ चंद्रगुप्त ने अपना अंतिम समय बिताया आज भी सुरक्षित है l

विरासत (Legacy)

  • भारत का पहला अखंड साम्राज्य स्थापित करने वाला शासक।
  • मौर्य वंश का संस्थापक।
  • चाणक्य और चन्द्रगुप्त का संबंध भारतीय इतिहास में आदर्श गुरु–शिष्य की मिसाल है।
  • उनके बाद बिन्दुसार और विशेषकर सम्राट अशोक महान ने साम्राज्य को और ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
  • जैन परंपरा में उन्हें तपस्वी सम्राट माना जाता है।

संक्षेप में: चन्द्रगुप्त मौर्य निर्धनता से उठकर भारत का महान सम्राट बना। उसने नंद वंश का अंत किया, यूनानियों को हराया और अखंड भारत की नींव रखी। अंत में उसने राजपाट छोड़कर जैन धर्म अपनाया और तपस्वी जीवन व्यतीत किया।


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