गुरु नानक देव जी का सम्पूर्ण जीवन परिचय

By gurudev

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Guru Nanak Dev Ji Life Story in Hindi


🌸 गुरु नानक देव जी – सम्पूर्ण जीवन परिचय (1469–1539 ई.)


🌼 1. जन्म व पारिवारिक पृष्ठभूमि

  • पूरा नाम: गुरु नानक देव जी
  • जन्म तिथि: 15 अप्रैल 1469 (कार्तिक पूर्णिमा)
  • जन्म स्थान: तलवंडी राय भोई (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान)
  • पिता: मेहता कालू जी (कल्याण चंद) – गाँव के मुनीम
  • माता: माता त्रिप्ता जी – अत्यंत धार्मिक व सरल स्वभाव की महिला
  • बहन: बेबी नानकी जी – उनसे बड़ी, और उनकी पहली भक्त
  • जाति: खत्री (बेदी उपजाति)
  • ग्राम के मुखिया: राय बुलार भट्टी, जो बाद में गुरु नानक जी के भक्त बन गए।

📚 2. बाल्यकाल और प्रारंभिक शिक्षा

गुरु नानक जी बचपन से ही असाधारण थे।
बाल्यकाल में ही वे ईश्वर, प्रेम, और समानता की बातें करते थे।
7 वर्ष की आयु में जब उन्हें स्कूल भेजा गया तो उन्होंने अपने अध्यापक पंडित गोपाल दास को अक्षरों का आध्यात्मिक अर्थ समझाया —

( ALIF)“अ” का अर्थ है – एक ईश्वर, सबका आरम्भ।
(BE) “ब” का अर्थ है – वह अनंत है, जिसका कोई अंत नहीं।

उन्होंने फारसी और अरबी भाषा मौलवी क़ुतबुद्दीन से सीखी।
उनका झुकाव ज्ञान, ध्यान और सेवा की ओर था।


💰 3. ‘साचा सौदा’ (True Bargain)

एक बार उनके पिता ने उन्हें व्यापार के लिए 20 रुपये दिए।
नानक जी ने उन रुपयों से भूखे संतों को भोजन कराया और बोले —

“यह सच्चा सौदा है (साचा सौदा)।”
यह घटना उनके दयालु और निस्वार्थ भाव को दर्शाती है।


💍 4. विवाह और परिवार

  • विवाह: सन् 1487 में माता सुलखनी जी से (मूलचंद खत्री की पुत्री, बटाला से)।
  • संतान:
  • श्रीचंद जी – उदासी सम्प्रदाय के संस्थापक।
  • लखमी दास जी – गृहस्थ जीवन जीने वाले।
  • निवास: सुल्तानपुर लोधी (अब पंजाब में)।

🌅 5. ईश्वरीय अनुभूति और ज्ञानोदय

सुल्तानपुर लोधी में दौलत खाँ लोधी के यहाँ नानक जी मुनीम (Modi) के रूप में कार्यरत थे।
वहाँ वे गरीबों की सेवा करते और ध्यान में लीन रहते।
एक दिन वे काली बेईं नदी में स्नान करने गए और तीन दिन तक गायब रहे।
तीसरे दिन लौटकर बोले —

“न कोई हिन्दू, न कोई मुसलमान – सब एक ही ईश्वर की संतान हैं।”
यह उनका ज्ञानोदय (enlightenment) था और यहीं से उनका मिशन शुरू हुआ।


🌍 6. उदासियाँ (चार प्रमुख यात्राएँ)

गुरु नानक देव जी ने विश्वभर में ईश्वर का सन्देश फैलाने के लिए चार प्रमुख यात्राएँ (उदासियाँ) कीं, जिनमें उन्होंने भारत, तिब्बत, अरब, और फारस तक यात्रा की।

उदासीक्षेत्रसमय अवधिमुख्य सन्देश
पहली उदासीपूर्वी भारत – बिहार, बंगाल, ओडिशा, नेपाल, वाराणसी, पुरी1500–1506 ई.कर्मकांड व्यर्थ हैं, सच्ची पूजा प्रेम और नाम में है।
दूसरी उदासीदक्षिण भारत – आंध्र, तमिलनाडु, श्रीलंका1506–1513 ई.ईश्वर हर रूप में, हर जगह है।
तीसरी उदासीउत्तर भारत – कश्मीर, लद्दाख, तिब्बत, सियालकोट1514–1518 ई.योग केवल शरीर नहीं, आत्मा की एकता का मार्ग है।
चौथी उदासीपश्चिम – मक्का, मदीना, बगदाद, फारस, अफगानिस्तान1519–1521 ई.ईश्वर सर्वव्यापक है – “जहाँ पैर घुमाओ, वहाँ खुदा है।”

उनके साथी:

  • भाई मरदाना (मुस्लिम रबाब वादक)
  • भाई बाला
  • बेबे नानकी जी

💫 7. गुरु नानक देव जी और शासक

शासक का नामघटना / सम्बन्ध
बहलोल लोधी, सिकंदर लोधीइनके शासन में गुरु जी ने समानता और शांति का सन्देश दिया।
दौलत खाँ लोधीसुल्तानपुर में उनके नियोक्ता और भक्त थे।
बाबरजब बाबर ने भारत पर आक्रमण किया, गुरु जी ने उसकी क्रूरता की निंदा “बाबर वाणी” में की। बाद में बाबर ने उन्हें आदरपूर्वक मुक्त किया।
हुमायूँपराजय के समय गुरु जी ने उसे विनम्रता का उपदेश दिया।
शेरशाह सूरीसीधा संपर्क नहीं, पर उनकी नीतियों से सिख समाज को स्थिरता मिली।

🕊️ 8. मुख्य शिक्षाएँ (Teachings of Guru Nanak Dev Ji)

गुरु जी ने सरल, गहन और व्यावहारिक उपदेश दिए जो सिख धर्म की नींव बने।

सिद्धांतअर्थ
“इक ओंकार”एक ही परमात्मा है, जो सर्वत्र है।
नाम जपनाईश्वर का निरंतर स्मरण।
कीरत करनीईमानदारी से आजीविका कमाना।
वंड छकनादूसरों के साथ बाँटना।
सेवानिस्वार्थ भाव से मानव सेवा।
समानतासब मनुष्य समान हैं – न कोई ऊँच-नीच।
सत्य आचरणसच्चा जीवन, सत्य से भी ऊँचा है।
कर्मकांड का विरोधमूर्ति पूजा व अंधविश्वास का त्याग।

🕍 9. कृतियाँ और वाणी (Bani)

गुरु नानक देव जी की रचनाएँ श्री गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं।
उनकी रचनाओं की संख्या लगभग 974 मानी जाती है।

प्रमुख रचनाएँ:

  1. जपजी साहिब – प्रातःकालीन पाठ, गुरु जी की सम्पूर्ण विचारधारा का सार।
  2. आसा की वार – धर्म, सत्य और जीवन के सिद्धांतों पर आधारित।
  3. सिध गोष्ठी – योगियों के साथ संवाद।
  4. सोहिला साहिब – रात्रि का पाठ।
  5. बाबर वाणी – बाबर के आक्रमण की घटनाओं पर लिखी रचनाएँ।

🍃 10. महत्त्वपूर्ण प्रसंग (Sakhis / Stories)

  1. साचा सौदा – भूखों को भोजन कराना सच्चा व्यापार बताया।
  2. हरिद्वार का जल – दिखाया कि ईश्वर हर दिशा में है।
  3. मक्का की घटना – जब उन्होंने अपने पैर काबा की ओर किए तो कहा, “जहाँ ईश्वर नहीं, वहाँ कर दो।”
  4. सर्प की छाया – शिशु अवस्था में सोते समय उनके सिर पर नाग ने छाया की।
  5. शरीर का फूल बन जाना – देह त्याग के समय शरीर की जगह फूल पाए गए।

🛕 11. कार्तारपुर की स्थापना

  • सन् 1522 ई. में गुरु जी ने कार्तारपुर साहिब (पाकिस्तान में) बसाया।
  • यहाँ उन्होंने ‘लंगर (सामूहिक रसोई)’ की प्रथा शुरू की, जहाँ सभी जातियों के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते थे।
  • उन्होंने श्रम, सेवा, और भक्ति को जीवन का आधार बनाया।

🙏 12. उत्तराधिकारी नियुक्ति


⚰️ 13. निधन (ज्योति ज्योत समाना)

अपने अंतिम दिनों में गुरु जी ने अपने सबसे योग्य शिष्य भाई लहणा जी को उत्तराधिकारी बनाया, जिन्हें नाम दिया —
👉 गुरु अंगद देव जी (दूसरे सिख गुरु)।
उन्होंने कहा — “लहणा अब अंगद हो गया है, अर्थात मेरा अंग।”

  • तिथि: 22 सितंबर 1539 ई.
  • स्थान: कार्तारपुर साहिब
  • आयु: 70 वर्ष
    निधन से पूर्व उन्होंने “सतनाम वाहेगुरु” का उच्चारण किया।
    उनके निधन के बाद जब हिंदू और मुसलमान दोनों ने उनका अंतिम संस्कार अपने-अपने तरीके से करना चाहा, तो जब चादर उठाई गई तो शरीर के स्थान पर केवल फूल पाए गए।
    आधा फूल हिंदुओं ने जलाया और आधा मुसलमानों ने दफनाया — एकता का प्रतीक।

🌼 14. विरासत और प्रभाव

  • गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की नींव रखी।
  • उन्होंने समाज में समानता, प्रेम, करुणा और ईश्वर-भक्ति का सन्देश दिया।
  • उन्होंने जात-पात, भेदभाव, अंधविश्वास और कर्मकांड का विरोध किया।
  • स्त्रियों को समान अधिकार दिए।
  • एक ओंकार” का सिद्धांत उनके सम्पूर्ण दर्शन का सार है।

📜 15. गुरु नानक देव जी के प्रसिद्ध वचन

  • “सत्य ऊँचा है, पर उससे भी ऊँचा है सच्चा जीवन।”
  • “एक ही परमात्मा है, उसका नाम सत्य है।”
  • “जो स्वयं पर विश्वास नहीं करता, वह ईश्वर पर भी नहीं कर सकता।”
  • “सभी मनुष्य समान हैं, किसी में भेद नहीं।”
  • “राजा या सम्राट भी उस चींटी से छोटा है जिसमें प्रभु प्रेम भरा हो।”

🌺 16. सारांश

गुरु नानक देव जी (1469–1539) ने धर्म के नाम पर विभाजित समाज को एक किया।
उन्होंने प्रेम, समानता, सच्चे जीवन और निस्वार्थ सेवा का संदेश दिया।
उनकी शिक्षाएँ कालातीत हैं —

“ईश्वर एक है, और सम्पूर्ण मानवता उसका अंश है।”


🌿 मुख्य तथ्य सारांश

विषयविवरण
जन्म15 अप्रैल 1469, ननकाना साहिब (पाकिस्तान)
माता-पितामाता त्रिप्ता जी, मेहता कालू जी
पत्नीमाता सुलखनी जी
बच्चेश्रीचंद, लखमी दास
प्रमुख साथीभाई मरदाना, भाई बाला, बेबी नानकी
प्रमुख स्थानतलवंडी, सुल्तानपुर लोधी, कार्तारपुर
प्रमुख कृतिजपजी साहिब
मृत्यु22 सितंबर 1539, कार्तारपुर साहिब
उत्तराधिकारीगुरु अंगद देव जी

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2 thoughts on “गुरु नानक देव जी का सम्पूर्ण जीवन परिचय”

  1. बहुत ही अच्छी जानकारी गुरु नानक देव जी के बारे में की है उनकी शिक्षाओं पर हमें चलने का प्रयास करना चाहिए

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  2. 🌷 “हर शब्द में भक्ति और ज्ञान झलक रहा है, सच में अद्भुत लेखन 🙌✨”

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