क्लास 11 पाठ 1 लेखनकला और शहरी जीवन स्रोत आधारित प्रश्न

By gurudev

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📘 स्रोत आधारित प्रश्न 1

“मेसोपोटामियाई समाज सामाजिक वर्गों में विभाजित था। राजा सबसे ऊँचे स्थान पर होता था। उसके नीचे कुलीन, पुजारी, अधिकारी और लेखक होते थे। व्यापारी और कारीगर मध्यम वर्ग में आते थे, जबकि किसान और मज़दूर निम्न वर्ग में। दास सबसे नीचे होते थे। महिलाओं की स्थिति पुरुषों से नीची थी, परंतु उन्हें संपत्ति रखने और व्यापार करने का अधिकार था। मंदिर भूमि के स्वामी होते थे और धार्मिक ही नहीं बल्कि आर्थिक संस्थान के रूप में भी कार्य करते थे।”


🔹 प्रश्न (Questions):

(i) मेसोपोटामिया के समाज की संरचना का वर्णन कीजिए।
(ii) मेसोपोटामिया में मंदिरों की भूमिका क्या थी?
(iii) क्या महिलाओं को संपत्ति रखने का अधिकार था?
(iv) समाज के सबसे निचले स्तर पर कौन होता था?


🔹 उत्तर (Answers):

(i) मेसोपोटामियाई समाज में राजा सबसे ऊपर था, उसके बाद कुलीन, पुजारी, अधिकारी और लेखक थे। मध्यम वर्ग में व्यापारी और कारीगर, निम्न वर्ग में किसान और मजदूर, और सबसे नीचे दास थे।
(ii) मंदिर धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ भूमि के स्वामी थे, अन्न संग्रह करते थे और किसानों को बीज व पशु उधार देते थे।
(iii) हाँ, महिलाओं को संपत्ति रखने और व्यापार करने का अधिकार था, लेकिन उनकी सामाजिक स्थिति पुरुषों से नीची मानी जाती थी।
(iv) दास समाज के सबसे निचले स्तर पर होते थे।


📘 स्रोत आधारित प्रश्न 2

“मेसोपोटामिया के दक्षिणी भाग सुमेर में सबसे पहले नगर बसे। इन नगरों के चारों ओर मिट्टी की दीवारें होती थीं और इनके अंदर मंदिर, महल और आवासीय क्षेत्र होते थे। नगरों की जटिल संरचना में गलियाँ, भंडारगृह, कार्यशालाएँ और खुले आँगन होते थे। मंदिर धार्मिक के साथ-साथ प्रशासनिक केंद्र भी थे। नगरों का यह निर्माण व्यापार, प्रशासन और धर्म में उनकी महत्ता को दर्शाता है।”


🔹 प्रश्न (Questions):

(i) सबसे पहले मेसोपोटामिया में नगर कहाँ बसे थे?
(ii) इन नगरों में कौन-कौन सी प्रमुख संरचनाएँ थीं?
(iii) मंदिरों की क्या भूमिका थी?
(iv) नगर की संरचना हमें क्या दर्शाती है?


🔹 उत्तर (Answers):

(i) सबसे पहले नगर सुमेर क्षेत्र में बसे जो मेसोपोटामिया का दक्षिणी भाग था।
(ii) नगरों में मिट्टी की दीवारें, मंदिर, महल, रिहायशी क्षेत्र, गलियाँ, कार्यशालाएँ और भंडारगृह होते थे।
(iii) मंदिर धार्मिक केंद्र होने के साथ-साथ प्रशासनिक कार्यों के लिए भी प्रयोग होते थे।
(iv) नगर की संरचना से पता चलता है कि वे व्यापार, प्रशासन, और धार्मिक गतिविधियों के केंद्र थे।


📘 स्रोत आधारित प्रश्न 3

“मेसोपोटामिया में लेखन की खोज एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। प्रारंभ में लेखन का प्रयोग व्यापारिक लेनदेन और प्रशासनिक कार्यों को दर्ज करने के लिए किया गया। लेखन के लिए मिट्टी की पट्टिकाओं का उपयोग होता था और लिपि कोनाकार (cuneiform) थी। यह लिपि धीरे-धीरे चित्रों से अमूर्त संकेतों में परिवर्तित हुई। लेखक बनने के लिए वर्षों तक प्रशिक्षण लेना होता था। सामान्य लोग लेखन नहीं जानते थे, यह केवल उच्च वर्ग तक ही सीमित था।”


🔹 प्रश्न (Questions):

(i) मेसोपोटामिया में लेखन की खोज क्यों की गई थी?
(ii) लेखन के लिए कौन-कौन सी सामग्री और लिपि का प्रयोग होता था?
(iii) लेखक कौन थे और उन्हें प्रशिक्षण कैसे मिलता था?
(iv) क्या लेखन एक आम कौशल था?


🔹 उत्तर (Answers):

(i) लेखन की खोज व्यापार और प्रशासन में रिकॉर्ड रखने के लिए की गई थी।
(ii) मिट्टी की पट्टिकाओं पर कोनाकार लिपि (Cuneiform) से लेखन किया जाता था।
(iii) लेखक वे लोग थे जिन्हें विशेष रूप से लेखन के लिए वर्षों तक प्रशिक्षण दिया जाता था।
(iv) नहीं, लेखन आम कौशल नहीं था। यह केवल उच्च वर्ग के लोगों तक सीमित था।


बिलकुल! नीचे दिए गए हैं Class 11 History – Chapter 1: लेखन कला और शहरी जीवन (Writing and City Life) के लंबे स्रोत (Long Source Passages) हिन्दी में, जिन पर आधारित प्रश्न और उत्तर भी दिए गए हैं। ये बोर्ड स्तर के Source-Based Questions हैं।


📘 स्रोत आधारित प्रश्न 4

“मेसोपोटामिया का समाज कई सामाजिक वर्गों में विभाजित था। समाज के सबसे ऊपर राजा होता था, जो शासन करता था और मंदिरों का संरक्षक माना जाता था। उसके नीचे पुजारी, अधिकारी और लेखक आते थे। व्यापारी और कारीगर मध्यम वर्ग में आते थे, जबकि किसान और श्रमिक निम्न वर्ग का हिस्सा थे। दास समाज के सबसे निचले पायदान पर थे। महिलाएं पुरुषों की तुलना में निम्न स्थिति में थीं, परंतु वे संपत्ति खरीदने-बेचने, अनुबंध करने और व्यापार में भाग लेने में सक्षम थीं। मंदिर मेसोपोटामियाई समाज के केंद्र में थे। वे धार्मिक कार्यों के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों के भी केंद्र थे—मंदिरों के पास भूमि होती थी, वे अन्न संग्रह करते थे और किसानों को बीज व पशु उधार देते थे।”


🔹 प्रश्न (Questions):

(i) मेसोपोटामिया का सामाजिक ढाँचा कैसा था?
(ii) समाज में महिलाओं की क्या भूमिका और स्थिति थी?
(iii) मंदिरों का क्या महत्व था?
(iv) समाज के सबसे निम्न वर्ग में कौन आता था?


🔹 उत्तर (Answers):

(i) मेसोपोटामिया का समाज एक श्रेणीबद्ध ढाँचे में विभाजित था जिसमें राजा सबसे ऊपर था, फिर पुजारी, अधिकारी, लेखक, व्यापारी, कारीगर, किसान और श्रमिक आते थे, और सबसे नीचे दास होते थे।
(ii) महिलाओं की स्थिति पुरुषों से नीची मानी जाती थी, लेकिन उन्हें संपत्ति रखने, व्यापार करने और अनुबंध करने की स्वतंत्रता प्राप्त थी।
(iii) मंदिर धार्मिक और आर्थिक दोनों कार्यों के केंद्र थे। वे भूमि के स्वामी थे, अन्न भंडारण करते थे, और किसानों को बीज व पशु उधार देते थे।
(iv) समाज के सबसे निम्न स्तर पर दास आते थे।


📘 स्रोत आधारित प्रश्न 5

“मेसोपोटामिया के दक्षिणी भाग, जिसे सुमेर कहा जाता था, में सबसे पहले नगरों का विकास हुआ। इन नगरों की दीवारें मिट्टी की ईंटों से बनी होती थीं और अंदर कई संरचनाएँ होती थीं—जैसे मंदिर, महल, आवासीय क्षेत्र, गलियाँ, कार्यशालाएँ, खुले आँगन और भंडारण कक्ष। नगरों में सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक गतिविधियाँ एक-दूसरे से जुड़ी होती थीं। मंदिर सिर्फ पूजा के स्थान नहीं थे, वे प्रशासनिक और आर्थिक केंद्र भी थे। इन नगरों की संरचना इस बात को दर्शाती है कि वे केवल आवासीय स्थान नहीं, बल्कि व्यापार और सत्ता के भी केंद्र थे।”


🔹 प्रश्न (Questions):

(i) सुमेर क्षेत्र में नगरों की क्या विशेषताएँ थीं?
(ii) इन नगरों में किन प्रमुख संरचनाओं का निर्माण हुआ था?
(iii) मंदिरों की किन-किन भूमिकाओं का उल्लेख किया गया है?
(iv) नगरों की संरचना से क्या संकेत मिलता है?


🔹 उत्तर (Answers):

(i) सुमेर क्षेत्र के नगरों में मिट्टी की ईंटों की दीवारें, सुव्यवस्थित योजना, गलियाँ और धार्मिक व प्रशासनिक इमारतें थीं।
(ii) मंदिर, महल, कार्यशालाएँ, भंडारगृह, आवासीय क्षेत्र और खुले आँगन जैसे ढाँचों का निर्माण हुआ था।
(iii) मंदिर पूजा के साथ-साथ प्रशासनिक कार्यों और आर्थिक गतिविधियों का संचालन करते थे।
(iv) नगरों की संरचना से पता चलता है कि वे सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक गतिविधियों के केंद्र थे।


📘 स्रोत आधारित प्रश्न 6

“मेसोपोटामिया में लेखन की शुरुआत प्रशासनिक और व्यापारिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हुई थी। प्रारंभ में, लेखन का उद्देश्य वस्तुओं की गिनती, करों का लेखा-जोखा और लेन-देन को दर्ज करना था। यह लेखन मिट्टी की पट्टिकाओं पर किया जाता था और इसमें कोनाकार (cuneiform) लिपि का प्रयोग होता था। यह लिपि तिकोने आकार की होती थी जिसे नुकीले औजार से दबाकर बनाया जाता था। लेखक बनने के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती थी और यह कला केवल धनी व उच्च वर्ग तक सीमित थी। आम जनता पढ़ना-लिखना नहीं जानती थी।”


🔹 प्रश्न (Questions):

(i) लेखन की शुरुआत किस उद्देश्य से हुई थी?
(ii) लेखन किस सामग्री और लिपि में होता था?
(iii) क्या हर कोई पढ़-लिख सकता था?
(iv) लेखक बनने के लिए किन योग्यताओं की आवश्यकता थी?


🔹 उत्तर (Answers):

(i) लेखन की शुरुआत व्यापार, कर संग्रह और प्रशासनिक रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए हुई थी।
(ii) लेखन मिट्टी की पट्टिकाओं पर कोनाकार (cuneiform) लिपि से किया जाता था।
(iii) नहीं, केवल उच्च वर्ग के लोग ही पढ़-लिख सकते थे। आम जनता अशिक्षित थी।
(iv) लेखक बनने के लिए वर्षों का प्रशिक्षण आवश्यक था, और यह कार्य केवल विशेष रूप से प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा किया जाता था।


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