कक्षा 11 इतिहास – अध्याय 2: तीन महाद्वीपों में फैला साम्राज्य (An Empire Across Three Continents)

By gurudev

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प्रश्न 1: रोमन साम्राज्य का भौगोलिक विस्तार कहाँ तक था?

उत्तर:
रोमन साम्राज्य का विस्तार वर्तमान यूरोप, पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका तक था। पश्चिम में यह ब्रिटेन से लेकर पूर्व में युफ्रेटीस नदी तक फैला था। उत्तर में डेन्यूब नदी और दक्षिण में सहारा मरुस्थल इसकी सीमाएँ थीं। भूमध्य सागर (Mediterranean Sea) इस साम्राज्य का केंद्र था, जिससे साम्राज्य के सभी भाग आपस में जुड़े हुए थे।


प्रश्न 2: रोमन सेना की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?

उत्तर:
रोमन सेना बहुत ही अनुशासित और संगठित थी। इसे लीजनों में बाँटा गया था, हर लीजन में लगभग 5,000 सैनिक होते थे। सैनिकों को कठोर प्रशिक्षण दिया जाता था। सेना ने साम्राज्य को विस्तार देने, सीमाओं की रक्षा करने और विद्रोह दबाने में अहम भूमिका निभाई। सैनिक सड़कें, किले और शिविर भी बनाते थे।


प्रश्न 3: रोमन साम्राज्य में सम्राट की भूमिका क्या थी?

उत्तर:
सम्राट रोमन साम्राज्य में सर्वोच्च पद पर होता था। वह सेना, प्रशासन और न्यायपालिका का प्रमुख होता था। सम्राट कानून बना सकता था, गवर्नरों की नियुक्ति करता था, और कर प्रणाली पर नियंत्रण रखता था। यद्यपि सीनेट बनी रही, लेकिन प्रथम शताब्दी ईस्वी के बाद असली सत्ता सम्राट के पास ही होती थी।


प्रश्न 4: रोमन सीनेट की क्या भूमिका थी?

उत्तर:
प्रारंभिक रोमन गणराज्य में सीनेट बहुत शक्तिशाली संस्था थी। इसमें अभिजात्य वर्ग के सदस्य होते थे। यह सलाह देती थी, वित्तीय मामलों की निगरानी करती थी और विधेयकों पर चर्चा करती थी। लेकिन सम्राट ऑगस्टस के बाद सीनेट की शक्ति घट गई और यह एक औपचारिक संस्था बनकर रह गई।


प्रश्न 5: रोमन साम्राज्य में व्यापार और शहरीकरण कैसे विकसित हुआ?

उत्तर:
रोमन साम्राज्य में व्यापार और शहरीकरण बहुत विकसित थे। भूमध्य सागर व्यापार का प्रमुख मार्ग था। साम्राज्य में अनाज, जैतून का तेल, शराब, धातु आदि का व्यापार होता था। रोम, अलेक्ज़ेन्ड्रिया और एंटिओक प्रमुख शहर थे। सड़कों और बंदरगाहों का अच्छा नेटवर्क था जिससे शहरीकरण को बल मिला।



प्रश्न 6: रोमन साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था का वर्णन कीजिए।

उत्तर:
रोमन साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था केंद्रित और संगठित थी। सर्वोच्च सत्ता सम्राट के पास होती थी। साम्राज्य को कई प्रांतों (Provinces) में बाँटा गया था, जिनका शासन गवर्नर करते थे।
गवर्नर कानून-व्यवस्था बनाए रखने, कर वसूलने और सेना की निगरानी के लिए जिम्मेदार होता था।

रोम में स्थित केंद्रीय प्रशासन वित्त, न्याय और नियुक्तियों की निगरानी करता था। सेना प्रशासन का महत्वपूर्ण हिस्सा थी, जो सीमाओं की रक्षा करती और विद्रोह दबाती थी। रोमन सड़कें और डाक व्यवस्था संचार में सहायक थीं।

कानूनी प्रणाली पूरे साम्राज्य में एक जैसी थी, जिससे न्याय में समानता बनी रही। प्रशासन स्थानीय रीति-रिवाजों का भी सम्मान करता था जिससे स्थिरता बनी रहती थी। इस तरह, यह व्यवस्था एक विशाल और विविधतापूर्ण साम्राज्य को सफलतापूर्वक चला सकी।


प्रश्न 7: कृषि, व्यापार और दासता के संदर्भ में रोमन साम्राज्य की अर्थव्यवस्था का वर्णन कीजिए।

उत्तर:
रोमन अर्थव्यवस्था का आधार कृषि था। बड़े-बड़े खेत जिन्हें लैटिफुंडिया कहा जाता था, अमीर ज़मींदारों के पास होते थे और वहाँ दासों से काम लिया जाता था। प्रमुख फसलें थीं अनाज, अंगूर और जैतून

व्यापार भी बहुत सक्रिय था। भूमध्य सागर के माध्यम से पूर्व से मसाले, रेशम और रत्न आयात होते थे और साम्राज्य से जैतून का तेल, शराब, धातु और मिट्टी के बर्तन का निर्यात होता था।
रोम और अलेक्ज़ेन्ड्रिया जैसे शहर व्यापार के केंद्र थे।

दास कृषि, खदानों, घरेलू कार्यों और निर्माण में लगे होते थे। युद्धबंदियों को दास बनाया जाता था। उनकी श्रम शक्ति से उत्पादन बढ़ा, लेकिन अधिक निर्भरता के कारण अर्थव्यवस्था कमजोर भी हुई।

राजस्व वसूली कर और उपज के रूप में होती थी, जिससे सेना और सार्वजनिक निर्माण को चलाया जाता था। इस तरह कृषि, व्यापार और दासता रोमन अर्थव्यवस्था के स्तंभ थे।


प्रश्न 8: रोमन साम्राज्य की सामाजिक संरचना का वर्णन कीजिए।

उत्तर:
रोमन समाज में कठोर सामाजिक श्रेणियाँ थीं। सबसे ऊपर सेनेटोरियल और इक्वेस्ट्रियन वर्ग था जिनके पास भूमि और राजनीतिक शक्ति होती थी। इनके नीचे नागरिक (Citizens) होते थे जो सेना में भर्ती हो सकते थे और वोट दे सकते थे।

प्लीबियन (साधारण नागरिक) छोटे किसान, कारीगर और व्यापारी होते थे। समय के साथ उन्हें कुछ राजनीतिक अधिकार मिले।
नीचे थे मुक्तदास (Freedmen) और दास
मुक्तदास संपत्ति रख सकते थे लेकिन अधिकार सीमित थे।
दासों की कोई कानूनी पहचान नहीं थी। वे संपत्ति माने जाते थे और खेतों, खानों और घरों में काम करते थे।

यह सामाजिक व्यवस्था कठोर थी, पर इसने साम्राज्य में व्यवस्था बनाए रखी।


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