Mid Term Exam 2025-26 क्लास 12, सांध्य पाली, इतिहास, हल प्रश्न-पत्र

By gurudev

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प्रश्न 1. नीचे दी गई सूचना का ध्यान पूर्वक अध्ययन करें और इससे संबंधित स्थल को पहचाने व नाम बताइए|

० कृषि के लिए जल-संग्रहण किया जाता था।

० यह जलाशय गुजरात में स्थित था।
नीचे दिए विकल्पों में से उस नगर की पहचान कीजिए।
विकल्प: (A) रोपड़ (B) धोलावीरा (C) कालीबंगन (D) शोर्तुघई
उत्तर: (B) धोलावीरा
व्याख्या: धोलावीरा (कच्छ, गुजरात) अपने उन्नत जल-संग्रहण प्रणाली और जलाशयों के लिए प्रसिद्ध था, जहाँ वर्षा जल को कृषि हेतु संचित किया जाता था।


प्रश्न 2. हड़प्पा नगरों की सबसे अनोखी विशेषता थी —
विकल्प: (A) कृषि (B) योजनाबद्ध नगर (C) पशुपालन (D) व्यापार
उत्तर: (B) योजनाबद्ध नगर
व्याख्या: हड़प्पा सभ्यता की सबसे बड़ी उपलब्धि उसका योजनाबद्ध नगर-निर्माण था — चौकोर सड़कों का जाल, जलनिकासी प्रणाली, पक्के ईंटों के मकान आदि।


प्रश्न 3. हड़प्पा स्थलों के लिए लाजवर्द मणि का सर्वोत्तम स्रोत कौन-सा था?
विकल्प: (A) नागेश्वर (B) शोर्तुघई (C) मांडा (D) खेतड़ी
उत्तर: (B)शोर्तुघई
व्याख्या: शोर्तुघई (अफगानिस्तान) लैपिस लैजुली का मुख्य स्रोत था, जो हड़प्पाई नगरों तक व्यापार के माध्यम से पहुँचता था।


प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौन-सा कारण मगध को 600 ई.पू. में शक्तिशाली महाजनपद बनाने का कारण नहीं था?
विकल्प:
(A) जंगलों में अच्छे मोती (beads) मिलना
(B) लौह-अयस्क की उपलब्धता
(C) गंगा और उसकी सहायक नदियाँ
(D) महत्वाकांक्षी राजा
उत्तर: (A) जंगलों में अच्छे मोती मिलना
व्याख्या: मगध की शक्ति का कारण लौह संसाधन, नदी मार्गों से व्यापार, और महत्वाकांक्षी राजा थे — मोतियों से इसका संबंध नहीं था। भारी मात्रा मे जंगलो मे हाथी मिलना इसकी शक्ति का कारण था ना की मोती|


प्रश्न 5. मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में किस शताब्दी में स्थानांतरित की गई?
विकल्प: (A) ई.पू. 5वीं शताब्दी (B) ई.पू. 4वीं (C) ई.पू. 2वीं (D) ई.पू. 3वीं
उत्तर: (A) ई.पू. 5वीं शताब्दी
व्याख्या: आजातशत्रु के समय (ई.पू. 5वीं शताब्दी) में राजधानी राजगृह से पाटलिपुत्र में स्थानांतरित की गई।


प्रश्न 6. “इलाहाबाद स्तंभ लेख” किस भाषा में लिखा गया है?
विकल्प: (A) प्राकृत (B) हिन्दी (C) संस्कृत (D) ब्राह्मी
उत्तर: (C) संस्कृत
व्याख्या: सम्राट समुद्रगुप्त का “प्रयाग प्रशस्ति” (इलाहाबाद स्तंभ लेख) संस्कृत भाषा में लिखा गया था (लिपि ब्राह्मी थी)।


प्रश्न 7. वह विवाह प्रकार जिसमें एक पुरुष की अनेक पत्नियाँ होती हैं —
(A) अंतर्जातीय (B) बहिर्जातीय (C) बहुपत्नी प्रथा (Polygyny) (D) बहुपति प्रथा (Polyandry)
उत्तर: (C) बहुपत्नी प्रथा
व्याख्या: बहुपत्नी प्रथा में एक पुरुष की अनेक पत्नियाँ होती हैं; जबकि बहुपति प्रथा में एक स्त्री के कई पति होते हैं।


प्रश्न 8. उस समाज-श्रेणी की पहचान कीजिए —
(i) जो शवों और मरे पशुओं का कार्य करती थी।
(ii) जो गाँव के बाहर रहती थी और फेंके हुए बर्तनों व पुराने कपड़ों का उपयोग करती थी।
(A) निषाद (B) चांडाल (C) क्षत्रिय (D) म्लेच्छ
उत्तर: (B) चांडाल
व्याख्या: चांडाल समाज की सबसे नीच श्रेणी मानी जाती थी, जो मृत शरीरों और पशुओं के कार्य में संलग्न रहती थी।


प्रश्न 9. बुद्ध के जीवन से संबंधित सही जोड़ी कौन-सी है?
(A) जन्म – बोधगया (B) ज्ञान – सारनाथ (C) उपदेश – लुंबिनी (D) निर्वाण – कुशीनगर
उत्तर: (D) निर्वाण – कुशीनगर
व्याख्या: बुद्ध का जन्म लुंबिनी में, ज्ञान बोधगया में, प्रथम उपदेश सारनाथ में और निर्वाण कुशीनगर में हुआ।


प्रश्न 10. त्रिपिटक का भाग कौन-सा है?
(A) दीपवंश (B) धम्म सूत्र (C) महावंश (D) अभिधम्म पिटक
उत्तर: (D) अभिधम्म पिटक
व्याख्या: बौद्ध धर्म के तीन ग्रंथ — विनय पिटक, सुत्त पिटक और अभिधम्म पिटक — मिलकर त्रिपिटक कहलाते हैं।


प्रश्न 11. चित्र की पहचान कीजिए —


(A) अमरावती शैली (B) बुद्ध की मूर्ति, मथुरा (ई.1 शताब्दी) (C) गांधार शैली (D) गॉथिक कला
उत्तर: (B) मथुरा शैली की बुद्ध मूर्ति (ई.1 शताब्दी)
व्याख्या: मथुरा कला में भारतीय विशेषताएँ थीं — पूर्ण शरीर, सरल वस्त्र और शांत भाव।

नोट: यह सवाल सिर्फ दृष्टि बाधित परिक्षार्थियों के लिए प्रश्न 11 की जगह।

उत्तर भारत में मिली बुद्ध की मूर्तियों में किस कला sh का इस्तेमाल किया गया था?

(A) अमरावती स्टाइल ऑफ़ आर्ट

(B) मथुरा आर्ट स्टाइल

(C) गांधार स्टाइल ऑफ़ आर्ट

(D) गोथिक स्टाइल
उत्तर: मथुरा कला शैली)


प्रश्न 12. किस यात्री को सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली का क़ाज़ी नियुक्त किया था?

(A) अब्दुर रज्जाक (B) अल-बिरूनी (C) इब्न बतूता (D) बारबोसा
उत्तर: (C) इब्न बतूता
व्याख्या: मोरक्को के यात्री इब्न बतूता को मुहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली का न्यायाधीश (क़ाज़ी) नियुक्त किया था।


प्रश्न 13. “रिहला” किस यात्री द्वारा लिखी गई पुस्तक है?
(A) इब्न बतूता (B) मार्को पोलो (C) फ्रांसुआ बर्नियर (D) बारबोसा
उत्तर: (A) इब्न बतूता
व्याख्या: रिहला (अर्थ – यात्रा) इब्न बतूता की प्रसिद्ध यात्रा-वृत्तांत पुस्तक है।


प्रश्न 14. उस यात्री की पहचान कीजिए — वह चिकित्सक, राजनीतिक दार्शनिक और इतिहासकार था, 1656–1668 ई. में भारत आया, और दारा शिकोह से जुड़ा था।

(A)अल-बिरूनी (B) इब्न बतूता (C) फ्रांसुआ बर्नियर (D) अबुल फज़ल
उत्तर: (C) फ्रांसुआ बर्नियर
व्याख्या: फ्रांसुआ बर्नियर एक फ्रांसीसी चिकित्सक और विचारक था, जो औरंगज़ेब के काल में भारत आया और दारा शिकोह के निकट था।


प्रश्न 15. लिंगायतों के बारे में सही कथन कौन-से हैं?
(i) जाति प्रथा का विरोध (ii) पुनर्जन्म सिद्धांत पर प्रश्न (iii) धर्मशास्त्रों को मान्यता (iv) शिव की लिंग रूप में पूजा
(A) (i)(ii)व(iii) (B) (ii)व(iii) (C) (i)(ii)व(iv) (D) सभी
उत्तर: (C) (i)(ii)व(iv)
व्याख्या: लिंगायतों ने जाति और पुनर्जन्म के सिद्धांत को नकारा, शिव की लिंग रूप में पूजा की, पर धर्मशास्त्रों की परंपराओं को नहीं माना।


प्रश्न 16. “नालायिर दिव्यप्रबंधम्” को किस रूप में जाना जाता है?
(A) तमिल वेद (B) बंगाली वेद (C) कन्नड़ वेद (D) धर्मशास्त्र
उत्तर: (A) तमिल वेद
व्याख्या: यह आलवार संतों द्वारा रचित 4000 तमिल भजनों का संग्रह है, जिसे “तमिल वेद” कहा जाता है।


प्रश्न 17. हज़ारराम मंदिर की दीवारों पर किस कथा के दृश्य उकेरे गए हैं?
(A) महाभारत (B) रामायण (C) जातक कथाएँ (D) पंचतंत्र
उत्तर: (B) रामायण
व्याख्या: हम्पी स्थित हज़ारराम मंदिर की दीवारों पर रामायण के अनेक दृश्य उत्कीर्ण हैं।


प्रश्न 18. गजपति शासक किस प्रदेश पर शासन करते थे?
(A) ओडिशा (B) दक्कन राज्य (C) असम (D) पश्चिम बंगाल
उत्तर: (A) ओडिशा
व्याख्या: गजपति वंश के राजा मध्यकाल में ओडिशा (उड़ीसा) के शासक थे।


प्रश्न 19. कथन (A): विजयनगर साम्राज्य अपने जल-प्रबंधन के लिए प्रसिद्ध था।
कारण (R): शासकों ने पहाड़ियों से बहने वाली धाराओं के किनारे बाँध और जलाशय बनाए।
विकल्प:
(A) दोनों सत्य, और R, A की सही व्याख्या है
(B) दोनों सत्य, पर R सही व्याख्या नहीं
(C) A सत्य, R असत्य (D) A असत्य, R सत्य
उत्तर: (A) दोनों कथन सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है
व्याख्या: विजयनगर के शासकों ने जलाशयों और बाँधों का निर्माण किया, जिससे जल-संचयन की उन्नत प्रणाली विकसित हुई।


प्रश्न 20. मुगल भूमि-राजस्व प्रणाली के अंतर्गत निम्नलिखित का मिलान कीजिए –

सूची–Iसूची–II
A. जामा4. आकलित राजस्व राशि
B. खेत बटाई3. बोआई के बाद खेत का विभाजन
C. लंग बटाई2. फसल काटने के बाद विभाजन
D. हासिल1. वास्तव में वसूल की गई राशि

उत्तर: (A) A-4, B-3, C-2, D-1
व्याख्या: जामा = आकलित राजस्व, खेत बटाई = बोआई के बाद बँटवारा, लंग बटाई = कटाई के बाद बँटवारा, हासिल = वास्तविक वसूली।


प्रश्न 21. मुगल काल में कौन-सी जनजाति भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार करती थी और पंजाब के गाँवों-नगरों में घूमती थी?
(A) सर्राफ (B) कोच (C) अहोम (D) लुबानी (Lobanis)
उत्तर: (D) लुबानी
व्याख्या: लुबानी (या लबाना) व्यापारी जनजाति थी जो भारत-अफगानिस्तान मार्गों पर व्यापार करती और पंजाब में आवागमन करती थी।


Q22 (A). हड़प्पावासियों द्वारा शिल्प उत्पादन के लिए सामग्री प्राप्त करने की रणनीतियो की व्याख्या कीजिए।

  1. स्थानीय संसाधनों का उपयोग: हड़प्पावासियों ने अपने आसपास के क्षेत्रों से मिट्टी, पत्थर, लकड़ी और ताँबा जैसी सामग्रियाँ प्राप्त कीं ताकि स्थानीय शिल्प और निर्माण में काम आ सके।
  2. दीर्घ दूरी व्यापार: कीमती सामग्रियाँ जैसे लैपिस लैज़ुली (शॉर्टुगाई से), कार्नेलियन (गुजरात से), और ताँबा (राजस्थान से) व्यापारिक मार्गों के माध्यम से मँगाई जाती थीं।
  3. केंद्रित शिल्प-उत्पादन और मानकीकरण: विशेष शिल्प केंद्रों में कच्चा माल इकट्ठा कर समान माप और डिज़ाइन के अनुसार वस्तुएँ बनाई जाती थीं, जिससे उत्पादन नियंत्रित और स्थिर रहा।

या (OR)

Q22 (B). हड़प्पा संस्कृति में शवधान की कोई तीन विशिष्ट विशेषताएँ बताइए।

  1. विविध दफन पद्धतियाँ: हड़प्पा स्थलों पर फैले, जार-दफन (urn burials) और ईंट-से-लिपटी कब्रें मिली हैं, जो विभिन्न संस्कार प्रथाओं को दर्शाती हैं।
  2. कब्रों में रखी वस्तुएँ: मृतकों के साथ मिट्टी के बर्तन, आभूषण, और छोटे औज़ार रखे जाते थे, जो परलोक-विश्वास और सामाजिक भेद को दर्शाते हैं।
  3. निर्धारित कब्र-स्थल: बस्तियों के बाहर विशेष दफन-क्षेत्र बनाए गए थे, जो शहर की योजनाबद्धता और धार्मिक व्यवस्था को दिखाते हैं।

Q23. मौर्य साम्राज्य के इतिहास के निर्माण के लिए प्रयुक्त स्रोतों का वर्णन कीजिए?

  1. शिलालेखीय स्रोत: अशोक के शिला और स्तम्भ लेख शासन, नीति और धार्मिक विचारों की प्रत्यक्ष जानकारी देते हैं।
  2. साहित्यिक स्रोत: मेगस्थनीज़ की इंडिका, बौद्ध ग्रंथ (जैसे अशोकावदन), और पुराणिक कथाएँ राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति बताती हैं।
  3. पुरातात्त्विक और मुद्रा साक्ष्य: खुदाई से मिले नगर, सिक्के, और औज़ार उस समय की अर्थव्यवस्था और शहरी जीवन का प्रमाण हैं।

Q24.जिस समय साँची मे स्तूप बनाया गया उसी समय बनाए गए मंदिरों की तीन किन्हीं तीन विशेषताओं का संक्षेप मे वर्णन कीजिए।

(नोट: उपरोक्त प्रश्न को व्यापक दृष्टि से देखने की जरूरत है| बौद्ध धर्म के उत्थान के पश्चात सनातन या हिंदू धर्म ने भी मूर्ति पूजा प्रारंभ कर दी थी | इसके लिए शुरू मे मन्दिर बहुत छोटे एक कमरे जैसे होते थे जिसमे मूर्ति स्थापना की जाती थी| कमरे मे प्रवेश के लिए एक द्वार होता था | इस कमरे को गर्भ गृह कहा जाता था| बाद के समय मे इन्ही गर्भगृहों पर भव्य मन्दिर बनाए गए|) ( परंतु बौद्ध धर्म के लिए उत्तर निम्न होना चाहिए)

  1. पत्थर का प्रयोग और सजावट: मंदिरों और तोरणद्वारों पर बुद्ध के जीवन और जातक कथाओं को सुंदर शिल्प के रूप में उकेरा गया।
  2. चैत्य-गृह और सभा-स्थल: प्रारंभिक बौद्ध स्थापत्य में प्रार्थना के लिए हॉल बनाए जाते थे, जिनके केंद्र में स्तूप होता था।
  3. धार्मिक कथा चित्रण: मंदिरों की मूर्तिकला के माध्यम से धार्मिक संदेश और बौद्ध शिक्षाएँ जनसाधारण तक पहुँचाई जाती थीं।

Q25. भारतीय और ब्राह्मणीय प्रथाओं को समझने में अल-बिरूनी को जिन अंतनिहित समस्याओं का सामना करना पड़ा उन्हें स्पष्ट कीजिए|

  1. भाषा की समस्या: अल-बिरूनी संस्कृत नहीं जानता था, इसलिए अनुवादकों पर निर्भर रहना पड़ा जिससे अर्थ में भ्रम हुआ।
  2. सीमित जानकारी की उपलब्धता: कई ब्राह्मणीय ग्रंथ केवल ब्राह्मण वर्ग के लिए थे, जिससे उसे पूर्ण ज्ञान नहीं मिल सका।
  3. सांस्कृतिक भिन्नता: इस्लामी दार्शनिक सोच और भारतीय धार्मिक अवधारणाओं (जैसे कर्म और पुनर्जन्म) के बीच मतभेदों से गलतफहमियाँ उत्पन्न हुईं।

Q26. जाति के प्रति अलवार और नयनार संतों का क्या दृष्टिकोण था?

  1. जाति-भेद का विरोध: आलवार (विष्णु भक्त) और नयनार (शिव भक्त) संतों ने ऊँच-नीच पर आधारित जाति भेद का विरोध किया।
  2. भक्ति में समानता: उन्होंने कहा कि ईश्वर-भक्ति सभी के लिए समान है — मुक्ति केवल भक्ति से मिलती है, जन्म से नहीं।
  3. स्थानीय भाषा और मंदिर परंपरा: उन्होंने तमिल भाषा में भजन रचे और मंदिरों को जनसामान्य के लिए खुला बनाया, जिससे धार्मिक एकता बढ़ी।

Q27 (A). “विजयनगर के एक साम्राज्य के रूप मे विकसित होने मे यहाँ की भौगोलिक स्थिति का एक महत्वपूर्ण योगदान था।” स्पष्ट कीजिए।

  1. प्राकृतिक सुरक्षा: टुंगभद्रा नदी और चारों ओर के चट्टानी पहाड़ों ने विजयनगर को एक सुरक्षित किला प्रदान किया।
  2. कृषि और जल-संसाधन: पहाड़ियों से बहने वाली धाराओं पर बाँध बनाकर जलाशय तैयार किए गए, जिससे सिंचाई और खाद्य आपूर्ति बढ़ी।
  3. व्यापारिक स्थिति: इसका स्थान आंतरिक और तटीय व्यापार मार्गों के मध्य था, जिससे आर्थिक समृद्धि हुई।

या (OR)

Q27 (B). आपके विचार से महानवमी डिब्बा से संबद्ध अनुष्ठानों का क्या महत्व था?

  1. राजकीय वैधता का प्रतीक: महामहमी डिब्बा पर किए गए अनुष्ठान राजा की सत्ता और दैवी अधिकार का प्रतीक थे।
  2. सामाजिक एकता: इन समारोहों में जनता, अधिकारी और राजघराने एकत्र होते थे, जिससे समाज में एकता और निष्ठा बनी रहती थी।
  3. आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व: इन अवसरों पर उपहार और दान का आदान-प्रदान होता था, जो राज्य की सम्पन्नता और धार्मिक उत्सवों को दर्शाता था।

प्रश्न 28 (A): वनवासी कौन थे? 16वीं और 17वीं शताब्दी में उनके जीवन में कैसे परिवर्तन आया?

उत्तर:

  1. परिभाषा: वनवासी वे लोग थे जो जंगलों और पहाड़ी इलाकों में रहते थे और मुख्यतः शिकार, संग्रहण तथा झूम खेती करते थे।
  2. जीविका: वे स्थायी खेती के बजाय अस्थायी झूम खेती (slash and burn) करते थे।
  3. समाज की प्रकृति: उनका समाज जनजातीय था, जिसमें समानता थी और कोई सख्त जाति व्यवस्था नहीं थी।
  4. व्यापारिक संपर्क: 16वीं-17वीं शताब्दी में वनवासियों का संबंध बाहर की दुनिया से बढ़ा, विशेष रूप से व्यापारियों और राज्य से।
  5. कर व्यवस्था: मुगल शासन में उनसे जंगलों के उत्पाद (जैसे लकड़ी, शहद, मोम आदि) पर कर वसूला जाने लगा।
  6. कृषि विस्तार: खेती के प्रसार के कारण वनवासियों की भूमि पर कब्ज़ा बढ़ा और वे खेती या मजदूरी करने लगे।
  7. सैन्य भूमिका: कुछ जनजातियाँ मुगल सेना में भर्ती होकर सैनिक बनीं — जैसे गोंड और भील।
  8. परिवर्तन: धीरे-धीरे उनका पारंपरिक जीवन बदल गया और वे मुख्यधारा समाज और अर्थव्यवस्था में सम्मिलित होते गए।

प्रश्न 28 (B) विकल्प: मुगल भारत के जाति और ग्रामीण वातावरण का वर्णन कीजिए। मुगलकाल के दौरान ग्रामीण समाज में जाति पंचायतें किस प्रकार ताकतवर थीं?

उत्तर:

  1. ग्रामीण समाज की रचना: मुगलकाल में गाँव भारतीय जीवन की मूल इकाई था जहाँ कृषि प्रमुख पेशा था।
  2. जाति व्यवस्था: गाँवों में जाति व्यवस्था गहराई से जमी थी — ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और अछूत वर्ग।
  3. काम का विभाजन: हर जाति के पास तय कार्य थे, जैसे बढ़ई, लोहार, बुनकर आदि।
  4. सामाजिक नियंत्रण: जाति पंचायतें गाँवों में सामाजिक और आर्थिक अनुशासन बनाए रखती थीं।
  5. विवाद समाधान: वे विवाह, उत्तराधिकार और आर्थिक झगड़ों को सुलझाती थीं।
  6. सजा देने की शक्ति: पंचायतों को जुर्माना, बहिष्कार या दंड देने का अधिकार था।
  7. राज्य से संबंध: कभी-कभी पंचायतें स्थानीय प्रशासन के साथ भी सहयोग करती थीं।
  8. महत्त्व: इस प्रकार जाति पंचायतें ग्रामीण समाज में सामाजिक व्यवस्था और परंपराओं की रक्षक थीं।

प्रश्न 29 (A): सूफी संतों और राज्य के बीच आठवीं से अठारहवीं शताब्दी तक के संबंधों की पहचान कीजिए।

उत्तर:

  1. सूफी आंदोलन: सूफी संत इस्लाम में रहस्यवाद और भक्ति का प्रचार करते थे।
  2. स्वतंत्रता: प्रारंभ में सूफी संत सत्ता से दूर रहना पसंद करते थे।
  3. राज्य से संपर्क: धीरे-धीरे शासक सूफी संतों के अनुयायी बनने लगे और उनसे आशीर्वाद लेते थे।
  4. राजकीय संरक्षण: दिल्ली सल्तनत और मुगल शासकों ने सूफी दरगाहों को जमीनें दीं (जागीर)।
  5. धार्मिक प्रभाव: सूफियों ने हिन्दू-मुस्लिम एकता और धार्मिक सहिष्णुता का संदेश दिया।
  6. राजनीतिक प्रभाव: कुछ सूफी शासकों के सलाहकार भी बने, जैसे शेख निज़ामुद्दीन औलिया का प्रभाव।
  7. दरगाहों की भूमिका: दरगाहें समाज में न्याय और दान के केंद्र बन गईं।
  8. अंतिम परिणाम: सूफी संतों और राज्य के संबंध आपसी लाभ और धार्मिक-राजनीतिक सहयोग के प्रतीक बने।

प्रश्न 29 (B) विकल्प: मध्यकाल के दौरान भारत में चिश्तियों की मुख्य मान्यताओं और शिक्षाओं की व्याख्या कीजिए।

उत्तर:

  1. संत परंपरा: चिश्ती सिलसिला भारत में सबसे प्रभावशाली सूफी परंपरा थी।
  2. संस्थापक: भारत में इसकी स्थापना ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती (अजमेर) ने की।
  3. मुख्य सिद्धांत: प्रेम, सहिष्णुता, सेवा और विनम्रता पर बल दिया गया।
  4. दार्शनिक विचार: उन्होंने कहा कि “ईश्वर तक पहुँच का मार्ग प्रेम और मानव सेवा है।”
  5. दरवेश जीवन: चिश्ती संत साधारण जीवन जीते और सांसारिक विलासिता से दूर रहते थे।
  6. लंगर प्रथा: उन्होंने गरीबों को भोजन कराने के लिए लंगर प्रथा शुरू की।
  7. धार्मिक एकता: हिन्दू और मुसलमान दोनों उनके अनुयायी बने।
  8. महत्त्व: उनकी शिक्षाओं ने समाज में एकता, मानवता और भाईचारे की भावना को गहराई दी।

प्रश्न 30 (A): उन साक्ष्यों की चर्चा कीजिए जो यह दर्शाते हैं कि बंधुत्व और विवाह संबंधी ब्राह्मणीय नियमों का सर्वत्र पालन नहीं होता था।

उत्तर:

  1. ब्राह्मणीय नियम: विवाह में गोत्र, वर्ण और जाति के अनुसार जो सीमाएँ तय की गई थीं, वे सख्त थीं।
  2. अभिलेखीय साक्ष्य: अभिलेखों से पता चलता है कि कई बार अंतर्जातीय विवाह हुए।
  3. महाभारत के उदाहरण: इसमें ऐसे विवाहों के उल्लेख मिलते हैं जो नियमों के विपरीत थे।
  4. दक्षिण भारत में प्रथा: कई स्थानों पर मामा-भांजी विवाह की परंपरा थी, जो ब्राह्मण नियमों के विपरीत थी।
  5. स्थानीय रीति-रिवाज: समाज में स्थानीय परंपराओं को प्राथमिकता दी जाती थी।
  6. राजघरानों के विवाह: राजनीतिक कारणों से भिन्न वर्णों में विवाह भी हुए।
  7. जनजातीय समाज: वहाँ ब्राह्मणीय पद्धतियों की जगह स्थानीय परंपराएँ प्रभावी थीं।
  8. निष्कर्ष: इससे स्पष्ट होता है कि ब्राह्मणीय विवाह नियम सर्वत्र लागू नहीं थे, बल्कि क्षेत्रीय विविधताएँ मौजूद थीं।

प्रश्न 30 (B) विकल्प: स्पष्ट कीजिए कि लगभग छठी शताब्दी ई.पू. में विशिष्ट परिवारों में पितृवंशीय व्यवस्था क्यों महत्वपूर्ण रही होगी।

उत्तर:

  1. परिवारिक नियंत्रण: पितृवंशीय व्यवस्था से संपत्ति और अधिकार पुरुषों के हाथ में केंद्रित थे।
  2. उत्तराधिकार: भूमि और संपत्ति पिता से पुत्र को हस्तांतरित होती थी।
  3. वंश परंपरा: पुत्रों के माध्यम से वंश चलाना एक सामाजिक कर्तव्य माना जाता था।
  4. धार्मिक कारण: पितृ यज्ञ और श्राद्ध में पुत्र की भूमिका आवश्यक थी।
  5. समाजिक स्थान: पुरुषों को उच्च सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त थी।
  6. राजनीतिक कारण: राज्यों में शासन पुरुषों के वंश के अनुसार हस्तांतरित होता था।
  7. आर्थिक कारण: कृषि समाज में भूमि का स्वामित्व पुरुषों के पास था।
  8. निष्कर्ष: इसलिए पितृवंशीय व्यवस्था संपत्ति, धर्म और सत्ता के संरक्षण के लिए आवश्यक मानी जाती थी।

(4×3=12)

उत्तर: 👉 राजा के अधिकारियों को राज्य का प्रशासन संभालने, टैक्स इकट्ठा करने, ज़मीन और पानी की देखरेख करने तथा आर्थिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए नियुक्त किया जाता था।

Q31.2 इन अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले कामों के टाइप के बारे में बताएं(2)

उत्तर: 👉१.वे लकड़हारे, बढ़ई, लोहार और खनिकों जैसे कामगारों के काम की देखरेख करते और टैक्स इकट्ठा करते थे।

२.ये अधिकारी नदियों और नहरों की देखरेख करते थे ताकि पानी की बराबर सप्लाई हो सके।

३.वे ज़मीन नापते थे और खेती से जुड़े कामों की निगरानी करते थे।

Q31.3 काम करने वालों के काम को सुपरिंटेंडेंट करने की क्या ज़रूरत थी?(1)

उत्तर: 👉 ताकि काम सही ढंग से और ईमानदारी से हो, किसी प्रकार की गड़बड़ी या संसाधनों की बर्बादी न हो, और राज्य का उत्पादन व व्यवस्था सुचारू रूप से चले।

वर्णों व्यवस्था के बारे में अल-बिरूनी का यह ब्यौरा है:

सबसे ऊंची जाति ब्राह्मण है, जिनके बारे में हिंदुओं के धर्म ग्रंथ बताते हैं कि उन्हें ब्रह्मा के सिर से बनाया गया था और क्योंकि ब्रह्मा सिर्फ़ प्रकृति नाम की ताकत का दूसरा नाम है, और सिर शरीर का सबसे ऊंचा हिस्सा है… इसलिए ब्राह्मण पूरी जाति का सबसे अच्छा हिस्सा हैं। इसलिए हिंदू उन्हें इंसानियत का सबसे अच्छा हिस्सा मानते हैं।

अगली जाति क्षत्रिय है, जिन्हें, जैसा कि वे कहते हैं, ब्राह्मण के कंधों और हाथों से बनाया गया था। उनका स्थान ब्राह्मणों से बहुत कम नहीं है।

32.1 ब्राह्मणों को बेहतर क्यों माना जाता था?(1)

उत्तर: 👉 ब्राह्मणों को इसलिए श्रेष्ठ माना जाता था क्योंकि उन्हें ब्रह्मा के सिर से उत्पन्न कहा गया, जो शरीर का सबसे ऊँचा और सबसे पवित्र हिस्सा है, और यह ज्ञान व बुद्धि का प्रतीक है।

32.2 अल-बिरूनी ने जाति प्रदूषण की बात को कैसे गलत बताया?(2)

उत्तर: 👉

० वे एक ही घरों में रहते और एक-दूसरे से मेल-जोल रखते हैं।
➡️ इससे उसने सिद्ध किया कि जाति भेद का विचार व्यावहारिक रूप से सही नहीं है।

० अल-बिरूनी ने बताया कि अलग-अलग वर्णों के लोग एक ही गाँव और शहर में साथ रहते हैं।

32.3 कौन एक साथ रहते थे फिर भी अलग-अलग रहते थे?

उत्तर: 👉 वैश्य और शूद्र एक ही गाँवों और शहरों में रहते थे, लेकिन सामाजिक रूप से एक-दूसरे से अलग (अलग दर्जे के) माने जाते थे।

  1. नीचे दिए गए सोर्स को ध्यान से पढ़ें और उसके बाद दिए गए सवाल का जवाब दें: (1+2+1-4)

1754 में जन्मे, कॉलिन मैकेंज़ी एक इंजीनियर, सर्वेयर और कार्टोग्राफर के तौर पर मशहूर हुए। 1815 में उन्हें भारत का पहला सर्वेयर जनरल बनाया गया, यह पद उन्होंने 1821 में अपनी मौत तक संभाला। उन्होंने भारत के अतीत को बेहतर ढंग से समझने और कॉलोनी का शासन आसान बनाने के लिए स्थानीय इतिहास इकट्ठा करना और ऐतिहासिक जगहों का सर्वे करना शुरू किया। वे कहते हैं कि “यह लंबे समय तक खराब मैनेजमेंट की मुश्किलों से जूझता रहा… इससे पहले कि दक्षिण ब्रिटिश सरकार के नरम असर में आए”। विजयनगर की स्टडी करके, मैकेंज़ी का मानना ​​था कि ईस्ट इंडिया कंपनी “इनमें से कई संस्थानों, कानूनों और रीति-रिवाजों के बारे में बहुत काम की जानकारी हासिल कर सकती है, जिनका असर आज भी मूल निवासियों की अलग-अलग जनजातियों में मौजूद है, जो आज भी आबादी का आम हिस्सा हैं”।

Q33.1 कॉलिन मैकेंज़ी कौन थे?(1)

उत्तर👉 कॉलिन मैकेंज़ी एक ब्रिटिश इंजीनियर, सर्वेयर और कार्टोग्राफर थे, जो 1815 में भारत के पहले सर्वेयर जनरल बने।

Q33.2 मैकेंज़ी ने विजयनगर साम्राज्य को फिर से खोजने की कोशिश कैसे की?(2)

उत्तर👉

  1. उन्होंने स्थानीय इतिहास, परंपराओं और कथाओं को इकट्ठा किया।
  2. उन्होंने ऐतिहासिक स्थलों का सर्वेक्षण किया ताकि विजयनगर साम्राज्य के संस्थान, कानून और संस्कृति को समझा जा सके।

Q33.3 विजयनगर साम्राज्य की स्टडी ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए कैसे काम की थी?(1)
उत्तर: 👉 इस अध्ययन से ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत के पुराने प्रशासनिक और सामाजिक ढांचे की जानकारी मिली, जिससे उन्हें शासन और नियंत्रण करना आसान हुआ।

Q34.

34.1 भारत के दिए गए पॉलिटिकल मैप पर नीचे दी गई जगहों को सही निशानों से ढूंढें और लेबल करें: (1+1+1=3)

  1. कालीबंगा – एक हड़प्पा साइट
  2. नागेश्वर – एक हड़प्पा साइट
  3. मेरठ – अशोक का एक पिलर पर लिखा हुआ या टोपरा – अशोक का एक पिलर पर लिखा हुआ

34.2 उसी आउटलाइन मैप पर दो बड़ी बौद्ध जगहों को A और B से मार्क किया गया है। उन्हें पहचानें और उनके पास खींची गई लाइनों पर उनके सही नाम लिखें।
कालीबंगा, नागेश्वर, टोपरा, मेरठ जैसी सभी जगहें दिखाएं और जगहों के नाम A और B भरें।

उत्तर: 34.1. A. लुंबिनी B. भरहुत

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